सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिका खारिज की
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 अप्रैल) को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि “हम अंतरिम जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं।”
इससे पहले 17 अक्टूबर, 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जगताप की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जगताप ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया जगताप के खिलाफ एनआईए का मामला सही लगता है और वह माओवादी संगठन की एक कथित साजिश का हिस्सा थीं।
जगताप सितंबर 2020 से जेल में हैं। हाईकोर्ट ने कहा था कि वह कबीर कला मंच (KKM) समूह की एक सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद कार्यक्रम में भड़काऊ नारे लगाए थे।
जांच एजेंसी एनआईए के अनुसार, एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों के कारण 1 जनवरी, 2018 को पुणे के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी। इसके बाद जगताप पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
एनआईए ने दावा किया है कि जगताप एल्गार परिषद कार्यक्रम के आयोजकों में से एक थीं और उन्होंने धन का लेखा-जोखा संभाला था।
जगताप के वकील मिहिर देसाई ने तर्क दिया कि उन्हें गिरफ्तार किया गया था जब मामला पुणे पुलिस से एनआईए को स्थानांतरित किया गया था और उनके पास आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है।
एल्गार परिषद मामला महाराष्ट्र के पुणे में 2017 में आयोजित एक सम्मेलन से संबंधित है। इसके एक दिन बाद, कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी। एनआईए ने आरोप लगाया है कि सम्मेलन में किए गए भाषणों ने हिंसा को उकसाया था।