Martyrs Return Home Draped in Tricolor: Final Journey to Commence in Home Village Amidst Outpouring of Tribute

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में शहीद उत्तराखंड के पांच सपूतों को अंतिम विदाई

आतंकवादी हमले में शहीद हुए उत्तराखंड के पांच बहादुर सैनिकों का आज सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांवों में पहुंच चुके हैं। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

शहीदों के परिवार शोक में डूबे हुए हैं, जबकि पूरे उत्तराखंड पर शोक की छाया है। कुछ ने अपने इकलौते बेटे को खोया है, तो कुछ ने 3 महीने और 4 साल के बच्चों को अनाथ छोड़ दिया है। तीन परिवारों के अकेले चिराग बुझ गए हैं।

इकलौते चिराग बुझ गए

* हवलदार कमल सिंह: पौड़ी जिले के रिखणीखाल के रहने वाले कमल सिंह 22 गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। वह अपने परिवार के इकलौते चिराग थे। उनकी तीन बहनें, एक माँ और एक दादी हैं।
* राइफलमैन अर्जुन नेगी: कमल सिंह की तरह ही अर्जुन नेगी भी अपने घर के इकलौते चिराग थे। उनकी एक बहन है। शहीद होने से कुछ महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी।
* राइफलमैन विनोद भंडारी: टिहरी के रहने वाले विनोद भंडारी भी अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। उनके पिता भी सेना में रहे हैं। विनोद ने अपने पीछे एक 3 महीने की बेटी और 4 साल के बेटे को छोड़ा है।

वीरता की कहानियाँ

शहीदों के अदम्य साहस और पराक्रम की कहानियाँ हर जुबां पर हैं। उत्तराखंड ने हमेशा बलिदानियों की एक लंबी सूची तैयार की है। राज्य के गठन के बाद से अब तक 354 सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।

कारगिल युद्ध में भी उत्तराखंड के जवानों ने निर्णायक भूमिका निभाई थी, जहाँ 75 सैनिकों ने अपनी वीरता का परिचय दिया था। हर साल, इस पहाड़ी राज्य के बहादुर सैनिक राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करते रहते हैं।

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