झज्जर में पराली जलाने पर कार्रवाई, किसानों को चेतावनी।

झज्जर: फसल अवशेष जलाने पर होगी कानूनी कार्रवाई, जुर्माना भी लगेगा

झज्जर, [आज की तारीख]: जिला प्रशासन ने किसानों को फसल अवशेष (पराली) जलाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। गेहूं की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने पर किसानों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और पोर्टल पर रजिस्टर्ड फसल को भी रद्द किया जा सकता है।

जिला उपायुक्त (डीसी) प्रदीप दहिया ने किसानों से अपील की है कि वे गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को न जलाएं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक है और इससे प्रदूषण फैलता है। सरकार ने फसल अवशेषों में आग लगाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है।

डीसी दहिया ने बताया कि किसानों को फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है और मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाना एक अपराध है और इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है।

फसल अवशेष जलाने से नुकसान:

गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण के साथ-साथ किसानों को भी भारी नुकसान होता है। इससे खेत की मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। साथ ही, मिट्टी में रहने वाले मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जो कि फसल के लिए फायदेमंद होते हैं।

समाधान:

फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। फसल अवशेषों को पशु चारे और विभिन्न उद्योग इकाइयों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पशु चारे के तौर पर या खेत में ही मिलाकर खाद भी तैयार हो सकता है, जो कि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। जिला प्रशासन किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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