अवैध तरीके से बढ़ाया गया मेघवाल विकास समिति का कार्यकाल, समाज में गहरा रोष

अलवर, 19 अप्रैल 2025:

शुक्रवार को अलवर स्थित मेघवाल बालिका छात्रावास के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मेघवाल विकास समिति, जिला अलवर की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन वर्ष और बढ़ाने की घोषणा की गई। यह निर्णय समाज और समिति के आजीवन सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना के लिया गया, जिससे संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया दोनों की अनदेखी हुई है।

कार्यक्रम में न तो समिति के अधिकृत सदस्य उपस्थित थे और न ही समाज के अधिकांश प्रमुख पदाधिकारी। केवल वहां मौजूद कुछ लोगों से हाथ उठवाकर यह प्रस्ताव पारित कर दिया गया। यह पूरी प्रक्रिया मेघवाल विकास समिति के पंजीकृत संविधान के विरुद्ध बताई जा रही है।

समिति के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं आजीवन सदस्य निहाल सिंह ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“मेघवाल विकास समिति एक पंजीकृत संस्था है जिसका संविधान स्पष्ट है। कार्यकाल बढ़ाने जैसी गंभीर प्रक्रिया संविधान के अनुसार ही होनी चाहिए। इस तरह गुपचुप और अलोकतांत्रिक ढंग से लिया गया निर्णय समाज के साथ धोखा है।”

उन्होंने आगे कहा, “खेद की बात है कि लोकतंत्र की रक्षा की बात करने वाली पार्टी के नेता प्रतिपक्ष श्री टीकाराम जूली भी इस असंवैधानिक कार्यवाही में सम्मिलित रहे। इससे समाज में भ्रम और नाराजगी दोनों फैली है।”

निहाल सिंह ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय उन्हें और समाज को किसी भी रूप में मान्य नहीं है और उन्होंने इसके विरोध में आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मेघवाल समाज की एक आम सभा आयोजित कर, सभी की सहमति से समिति की नई कार्यकारिणी के चुनाव की तिथि घोषित की जाएगी।

इस असंवैधानिक प्रक्रिया का केवल निहाल सिंह ने ही नहीं, बल्कि समाज के अनेक प्रमुख बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने भी कड़ा विरोध किया है।

सैकड़ों समिति सदस्यों के साथ जिन प्रमुख समाजजनों ने विरोध दर्ज किया, उनमें शामिल हैं:

डॉ. बी.आर. शास्त्री ,डॉ. महेश गोठवाल, मनोहर लाल वर्मा, शोभाराम मेघवाल ,समपत राम मेघवाल ,विनोद चैल ,सुरेन्द्र कुमार , शिशराम कनोड़िया ,आर.के. मेघवाल, पूरन चंद, राजेश गोठवाल

इन सभी ने संयुक्त रूप से इस निर्णय की आलोचना करते हुए समिति में पारदर्शिता, संविधान की पालना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली की मांग की है। समाज के सैकड़ों सदस्यों ने भी विरोध में एक स्वर में अपनी असहमति व्यक्त की।