गागरोन दुर्ग में सुविधाओं की कमी, पर्यटन विकास की मांग

झालावाड़: गागरोन दुर्ग में पर्यटक सुविधाओं की कमी पर संगोष्ठी

झालावाड़, 18 अप्रैल। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर पर्यटन विकास समिति ने गागरोन दुर्ग में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया। समिति के संयोजक ओम पाठक ने कहा कि दुर्ग को विश्व धरोहर में शामिल हुए 12 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं अभी भी उपलब्ध नहीं हैं।

संगोष्ठी में बोलते हुए उन्होंने कहा कि दुर्ग में न तो प्रशिक्षित गाइडों की व्यवस्था है और न ही पर्यटकों के बैठने के लिए उचित स्थान। उन्होंने दुर्ग के आसपास फैली झाड़ियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे दुर्ग की सुंदरता प्रभावित हो रही है।

इतिहासकार ललित शर्मा ने गागरोन दुर्ग के समृद्ध इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और इसे 21 जून 2013 को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। उन्होंने दुर्ग में हुए 14 युद्धों और 2 जौहरों का भी उल्लेख किया। उन्होंने दुर्ग की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा करते हुए कहा कि सर्दी और बरसात के मौसम में बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।

समिति सदस्य भगवती प्रकाश मेहरा ने दुर्ग में पीने के पानी और छाया की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जिला प्रशासन से पर्यटक सुविधाओं को विकसित करने का आग्रह किया ताकि दुर्ग की सुंदरता और पर्यटन वैभव को और बढ़ाया जा सके।

संगोष्ठी में भारत सिंह राठौड़, नफीस शेख, फारूख अहमद, हरिशंकर मीणा, सालिगराम दांगी, कृष्णानंद शर्मा, देवीसिंह, हनमत सिंह, राहुल गोयल, राहुल चौधरी, हर्षदीप सिंह, फिरोज खान, मुकेश, धर्मेंद्र, राजेन्द्र और सुरेन्द्र सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए।

संगोष्ठी के अंत में, उपस्थित लोगों ने गागरोन दुर्ग का दौरा किया और इसकी ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता का अवलोकन किया।

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