पंचकूला कोर्ट का फैसला: कांग्रेस नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा अवैध होर्डिंग मामले में बरी
पंचकूला, [आज की तारीख]: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा को पंचकूला कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अवैध होर्डिंग लगाने के एक मामले में हरियाणा युवा कांग्रेस के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को सबूतों के अभाव में पंचकूला की एक अदालत ने बरी कर दिया है।
सेक्टर-14 थाना पुलिस ने 28 जनवरी 2018 को दिव्यांशु बुद्धिराजा के खिलाफ हरियाणा संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 3-A के तहत मामला दर्ज किया था।
अभियोजन पक्ष ने नगर निगम पंचकूला के तत्कालीन आयुक्त राजेश जोगपाल की शिकायत के आधार पर आरोप लगाया था कि बुद्धिराजा ने एनएसयूआई अध्यक्ष के रूप में पंचकूला शहर में अवैध होर्डिंग लगाए थे। मामले में आरोप तय किए गए थे, जिसमें बुद्धिराजा ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे का सामना किया।
शिकायत में कहा गया था कि नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) द्वारा शहर के विभिन्न मुख्य चौकों पर बिना अनुमति के फ्लेक्स साइन बोर्ड और होर्डिंग लगाए गए हैं। नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त राजेश जोगपाल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि किसी भी व्यक्ति या संस्था ने नगर निगम से इन साइन बोर्डों को लगाने के लिए अनुमति नहीं ली है। आयुक्त ने पत्र में उल्लेख किया कि हरियाणा संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम 1989 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर इस प्रकार के बोर्ड लगाना निषिद्ध है। निगम आयुक्त ने पुलिस को पत्र के साथ सेक्टर 14 के एक राउंड अबाउट पर लगे होर्डिंग की फोटो कॉपी संलग्न करते हुए संबंधित कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था।
अदालत ने अपने निर्णय में अभियोजन पक्ष की गंभीर खामियों की कड़ी आलोचना की। अदालत ने कहा कि किसी भी अभियोजन गवाह ने बुद्धिराजा को होर्डिंग लगाते हुए नहीं देखा और न ही जांच में उन मजदूरों या ठेकेदारों को शामिल किया गया जो उनके निर्देश पर काम कर रहे थे। अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला केवल बुद्धिराजा के एनएसयूआई अध्यक्ष पद पर आधारित था, जबकि उनके उस समय के पद का भी कोई दस्तावेजी प्रमाण पेश नहीं किया गया।
अदालत ने अभियोजन गवाह मदन लाल (सफाई निरीक्षक) की गवाही पर भी ध्यान दिया, जिन्होंने कहा कि निगम ने 152 होर्डिंग जब्त किए थे, लेकिन उन्हें पुलिस कस्टडी में नहीं लिया गया और न ही अदालत में केस प्रॉपर्टी के तौर पर पेश किया गया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपना मामला पूर्णत: प्रमाणित करने में असफल रहा और दिव्यांशु बुद्धिराजा को सभी आरोपों से बरी कर दिया।