सिरसा: ओटू झील का पानी राजस्थान की ओर छोड़े जाने से किसानों में आक्रोश, विजिलेंस जांच की मांग
रानियां (सिरसा), 19 अप्रैल: सिरसा जिले के रानियां में चौधरी देवीलाल ओटू हैड झील से बिना किसी पूर्व सूचना के पानी राजस्थान की ओर छोड़े जाने से किसानों में भारी आक्रोश है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने गुरुवार को अपनी टीम के साथ ओटू हैड का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
मौके पर, उन्होंने पाया कि घग्गर नदी का पानी गेट खोलकर आगे छोड़ा जा रहा है। लगातार 300 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि यह पानी खरीफ फसल की बुआई के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। किसानों को सरसों की कटाई के बाद नरमा और कपास की बुआई के लिए नहर के पानी की सख्त जरूरत है।
औलख ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 7 अप्रैल को ओटू हैड पर मरम्मत का काम शुरू करके झील में जमा 645 क्यूसेक पानी को आगे छोड़ दिया। चांदपुर हैड से लगातार 300 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जो खुले गेट की वजह से बह रहा है।
उन्होंने बताया कि ओटू पुल का निर्माण 2001 में हुआ था। 2010 में आई बाढ़ से गेट के सामने लगे कुछ पत्थर उखड़ गए थे, लेकिन वे अभी भी अपनी जगह पर स्थिर हैं और पानी का कोई कटाव नहीं हो रहा है। पत्थरों पर मिट्टी जमी हुई है और घास भी उग आई है।
औलख ने आरोप लगाया कि कमीशनखोरी के चक्कर में नहरी विभाग ने गलत समय पर लगभग 3 करोड़ रुपये का रिपेयर टेंडर निकाला है। किसान नेताओं ने बताया कि बड़ी संख्या में 4 गुणा 4 फुट के पुराने पत्थरों को दोबारा लगाने की तैयारी हो रही है।
ओटू हैड इंचार्ज ने 100 क्यूसेक के करीब पानी आगे छोड़े जाने की बात कही है, जबकि वास्तव में 250 क्यूसेक से भी ज्यादा पानी व्यर्थ में बह रहा है। उन्होंने बताया कि सरदूलगढ़ से लेकर झोरड़नाली तक पानी घग्गर के अंदर आ रहा है, जिसका बिखराव नहीं है।
किसान नेता औलख ने नहरी विभाग को चेतावनी देते हुए कहा कि झोरड़नाली के नजदीक बांध लगाकर पीछे से आ रहे 300 क्यूसेक पानी को जीबीएसएम खारियां व आरकेसी रत्ताखेड़ा माइनरों में छोड़ा जाए, ताकि किसान सिंचाई करके नरमा व कपास की बुआई कर सकें।
उन्होंने आरोप लगाया कि गुड़गांव के रहने वाले नहरी विभाग के अधीक्षक अभियंता पवन भारद्वाज सप्ताह में एक या दो दिन के लिए ही सिरसा आ रहे हैं और जब से उन्होंने सिरसा में कार्यभार संभाला है, विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। औलख ने एसई पवन भारद्वाज को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
औलख ने कहा कि वे मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार और सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी से इस पूरे प्रकरण की स्टेट विजिलेंस से जांच करवाने की मांग करेंगे और जिन अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदार ने किसानों की खरीफ सीजन की बुआई की परवाह किए बिना अपने कमीशन के चक्कर में ओटू झील का पानी आगे छोड़ा है, उन सभी पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
इस अवसर पर किसान सुभाष न्यौल, नेमी शर्मा, हंसराज पचार आदि मौजूद रहे।
औलख ने बताया कि घग्गर नदी में हर साल बाढ़ से बचाने के लिए खर्च की जाने वाली करोड़ों रुपये की रिपेयर में गबन की शिकायत मुख्यमंत्री दरबार में अटकी हुई है और जांच भी उन्हीं दोषी अधिकारियों को सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा कि नहरी विभाग में लापरवाही और भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जिसकी जांच भी ठंडे बस्ते में समा रही है। मुख्यमंत्री को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।