शंभू और खनौरी बॉर्डर 13 महीने बाद पंजाब पुलिस द्वारा खाली, वाहनों की आवाजाही जल्द शुरू होने की संभावना
चंडीगढ़, [दिनांक]: पंजाब पुलिस ने आज शंभू और खनौरी बॉर्डर को 13 महीने बाद खाली करा लिया है। दोनों बॉर्डरों से सीमेंट की बैरिकेडिंग हटाने का काम जारी है और शाम तक वाहनों की आवाजाही शुरू होने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, पंजाब पुलिस ने टकराव से बचने के लिए 72 घंटे पहले ही योजना बना ली थी। पुलिस ने यह कार्रवाई उस दिन की, जब किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चंडीगढ़ में बैठक थी। पुलिस को उम्मीद थी कि किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे सरवण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल बैठक के लिए चंडीगढ़ आएंगे, जिससे बॉर्डरों से किसानों को हटाने में आसानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जगह खाली कराने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देशों के बाद पंजाब सरकार ने पुलिस को हर हाल में टकराव रोकने के आदेश दिए थे। किसान आंदोलन को लेकर मान सरकार की आलोचना हो रही थी, और बड़े कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा था।
पुलिस ने पहले योजना बनाई और फिर एक गुप्त बैठक में 2 IAS अधिकारी और 4 IPS अधिकारी शामिल हुए। योजना के तहत कमांडो बटालियन के साथ 1,500 पुलिसकर्मी और अधिकारी तैनात किए गए।
पुलिस को आदेश थे कि जैसे ही किसान नेता मोहाली में प्रवेश करें, उन्हें हिरासत में ले लिया जाए, लेकिन उन्हें पुलिस स्टेशनों में नहीं, बल्कि बड़े ट्रेनिंग सेंटर में रखा जाए। यदि कार्रवाई के समय खनौरी और शंभू बॉर्डर पर बड़े किसान नेता मौजूद होते तो खूनी झड़प हो सकती थी। इसलिए योजना यह थी कि जब पंधेर और डल्लेवाल मोर्चे से दूर होंगे, तभी कार्रवाई की जाए।
18-19 फरवरी की रात करीब 1 बजे तक संगरूर समेत अन्य स्थानों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अगुआई में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। सुबह 4 बजे किसान नेताओं को इसकी भनक लग चुकी थी, लेकिन वे बैठक की तैयारियों में व्यस्त थे। मोबाइल नेटवर्क भी बंद किए गए।
19 फरवरी को चंडीगढ़ में केंद्र के साथ किसान नेताओं की बैठक चल रही थी, तब राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियां लगातार योजना को लागू करने में जुटी थीं। जैसे ही मीटिंग के बाद किसान नेता निकले तो उन्हें हिरासत में लेने की प्रक्रिया शुरू की गई।
बैठक से पहले, किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर ने कहा था कि पंजाब पुलिस ने अचानक शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस बल बढ़ा दिया है।
बुधवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई। इस मीटिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी शामिल थे। सुबह 11 बजे शुरू हुई मीटिंग 4 घंटे चली, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
मीटिंग में किसान संगठन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की ओर से जो लिस्ट शेयर की गई है, उनसे कुछ इश्यू आ सकते हैं। इस पर वार्ता 4 मई को दोबारा करने पर सहमति बनी।
मीटिंग में पंजाब सरकार ने किसानों को बॉर्डर खाली करने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। जिसके बाद मीटिंग से लौट रहे सरवण पंधेर को मोहाली में एयरपोर्ट रोड पर पुलिस ने घेर लिया। वहीं जगजीत डल्लेवाल एम्बुलेंस में खनौरी बॉर्डर लौट रहे थे, पुलिस ने उन्हें संगरूर में घेर लिया। पुलिस और किसानों के बीच धक्कामुक्की हुई। पुलिस डल्लेवाल को एम्बुलेंस समेत ही हिरासत में लेकर चली गई। यही नहीं किसान नेता काका सिंह कोटड़ा, अभिमन्यु कोहाड़, मनजीत राय, ओंकार सिंह को भी हिरासत में लिया गया।
किसान नेताओं को हिरासत में लेने पर किसान भड़क गए। संगरूर में पुलिस-किसानों के बीच धक्कामुक्की हुई। किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। हालांकि पंजाब पुलिस पहले से ही तैयारी में थी और भारी फोर्स की वजह से सभी किसान हिरासत में ले लिए गए।
इसके बाद शाम करीब 8 बजे पंजाब पुलिस ने दोनों बॉर्डरों को खाली करना शुरू कर दिया। बॉर्डरों पर भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई। किसानों को यहां हटाकर उनके शेडों और टेटों पर बुलडोजर चलाया गया।
पटियाला के SSP नानक सिंह ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने उन्हें चेतावनी देने के बाद इलाके को खाली करा दिया। हमें कोई बल प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि कोई विरोध नहीं हुआ। किसानों ने अच्छा सहयोग किया।
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