3 क्विंटल पलाश फूलों से हर्बल गुलाल, मांग बढ़ी।

अलवर: सरिस्का के पलाश फूलों से निर्मित हर्बल गुलाल की धूम

अलवर, [दिनांक]: होली के रंगों में प्राकृतिक रंग घोलने के लिए सरिस्का के जंगलों में खिलने वाले पलाश के फूलों से बने हर्बल गुलाल की मांग तेजी से बढ़ रही है। वन विभाग द्वारा शहर के नंगली सर्किल, ज्योतिबा फुले सर्किल, मिनी सचिवालय और बस स्टैंड पर लगाए गए स्टॉलों पर यह गुलाल उपलब्ध है।

यह हर्बल गुलाल जंगलों के पेड़ों पर लगने वाले पलाश के फूलों से तैयार किया गया है, जिससे त्वचा पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव होने की आशंका नहीं है। बाजार में मिलने वाले रासायनिक गुलाल की तुलना में यह सस्ता भी है।

डीएफओ राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि गुलाल के एक पैकेट की कीमत 50 रुपये है। उदयपुर के बाद अलवर वन मंडल में चार वर्ष पूर्व यह पहल शुरू की गई थी, जिसकी लोकप्रियता अब बढ़ गई है। दूर-दूर से लोग प्राकृतिक गुलाल खरीदने आ रहे हैं।

पलाश के फूलों से गुलाल बनाने की प्रक्रिया में फूलों को इकट्ठा करके पानी में उबाला जाता है। फिर रस को अरारोट में मिलाकर सुखाया जाता है। सूखने के बाद, इसे पीसकर पाउडर बनाया जाता है और थैलियों में पैक किया जाता है।

अमृतवास के पास चूहड़सिद्ध में पलाश के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। वर्ष 2022 में यहां इन पेड़ों से गुलाल बनाने की इकाई शुरू की गई थी। डहरा शाहपुर के वनपाल मदनलाल ने बताया कि हर्बल गुलाल समिति के नाम से 11 स्थानीय महिलाओं की टीम इस गुलाल को तैयार करती है। इस वर्ष लगभग 3 क्विंटल गुलाल बनाया गया है।

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