नूंह में मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन, IMT रोजकामेव में कार्य बाधित
नूंह, हरियाणा: हरियाणा के नूंह जिले के गांव धीरदूका में पिछले एक साल से जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों ने आज आईएमटी रोजकामेव में चल रहे निर्माण कार्य को एक बार फिर बाधित कर दिया।
मंगलवार को हरियाणा राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (HSIIDC) के कर्मचारी भारी पुलिस बल के साथ जेसीबी मशीनों को लेकर नालियों और रास्तों के निर्माण के लिए पहुंचे थे। इस दौरान, हजारों किसान, महिलाएं और बच्चे कार्यस्थल पर पहुंच गए, जिसके बाद पुलिस और किसानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई।
किसानों ने कार्य को रोकते हुए कहा कि जब तक उनकी दो प्रमुख मांगे पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे काम नहीं होने देंगे। पुलिस प्रशासन किसानों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है।
सोमवार को भी रोका गया था कार्य
HSIIDC के कर्मचारी सोमवार को भी जेसीबी मशीनें लेकर निर्माण कार्य शुरू करने पहुंचे थे, लेकिन किसानों ने मौके पर पहुंचकर मशीनों पर चढ़कर काम को रोक दिया था। किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी, तब तक किसी भी कीमत पर काम नहीं चलने दिया जाएगा।
किसानों ने कहा कि वे अपनी मांगों के पूरे होने तक यहीं पर धरना जारी रखेंगे और रोजा भी यहीं खोलेंगे। इस दौरान, एक बुजुर्ग महिला बेहोश हो गईं, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। महिला ने रोजा रखा हुआ था और गर्मी बर्दाश्त न कर पाने के कारण बेहोश हो गईं।
पुलिस की शांति की अपील
हजारों की संख्या में किसानों ने चारों तरफ से मशीनों को घेर लिया है। किसानों का कहना है कि वे आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं और जेल जाने को भी तैयार हैं, लेकिन वे काम नहीं होने देंगे। पुलिस के उच्च अधिकारी किसानों को समझाने और शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
एक साल से धरने पर किसान
गौरतलब है कि आईएमटी रोजकामेव के लिए खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन गांवों के किसानों की वर्ष 2010 में लगभग 1600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उस समय सरकार ने किसानों को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया था।
बाद में, सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली और मच्छगर गांवों की जमीन का भी अधिग्रहण किया। वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कम कीमत पर जमीन लेने का आरोप लगाया और मुआवजे में वृद्धि की मांग की, जिस पर कोर्ट ने किसानों को 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ देने का आदेश दिया।
जब नौ गांवों के किसानों को पता चला कि अन्य गांवों के किसानों को 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मिले हैं, तो उन्होंने भी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपये प्रति एकड़ देने की बात कही और उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए ताकि वे कोर्ट में न जा सकें। किसानों को 21-21 लाख रुपये दिए गए और बाकी 25-25 लाख रुपये देने का वादा किया गया था, जो आज तक नहीं दिए गए हैं। इसी के चलते किसान धीरदूका गांव में 29 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।