लम्बे समय तक रहने वाला दर्द: मनोदशा, नींद और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव
नई दिल्ली: लम्बे समय से चले आ रहे दर्द (क्रोनिक दर्द) से पीड़ित व्यक्तियों के मनोदशा, नींद, और सामाजिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के दर्द का व्यक्ति के आत्म-सम्मान पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
अध्ययनों से पता चला है कि क्रोनिक दर्द सीधे तौर पर व्यक्ति के मूड को प्रभावित कर सकता है, जिससे उदासी, निराशा और चिड़चिड़ापन जैसी भावनाएं प्रबल हो सकती हैं। दर्द के कारण नींद में खलल पड़ने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने में कठिनाई के कारण पीड़ित व्यक्ति अकेलापन महसूस कर सकता है।
विशेषज्ञों ने इस स्थिति से निपटने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है, जिसमें दवा, शारीरिक थेरेपी और मनोचिकित्सा शामिल हैं। प्रारंभिक हस्तक्षेप और उचित प्रबंधन से क्रोनिक दर्द से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।