हरियाणा के कृषि और पशुपालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा है कि हमारे पूर्वजों ने गांवों में गायों के चरने के लिए गोचर छोड़ रखे थे। 1965 में एक अदालती फैसले के बाद गोचर की जमीन पंचायतों के पास चली गई। पंचायतों ने इन गोचरों को ठेके पर देकर व्यापार बना लिया। हरियाणा सरकार अब इन गोचरों को वापस लेने की कोशिश करेगी ताकि गायों को बढ़ावा मिले और गोवंश पनपे। कृषि मंत्री शनिवार को गोपाष्टमी पर्व के मौके पर श्री कृष्ण कृपा गौशाला में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस मौके पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी मौजूद थे। कृषि मंत्री ने कहा कि हर किसी को मिलकर बेसहारा गोवंश की समस्या का हल निकालना चाहिए। सरकार गोशालाओं को बढ़ावा दे रही है। गोसेवा आयोग भी बनाया गया है। उन्होंने श्री कृष्ण कृपा गोशाला को ऐच्छिक कोष से 11 लाख रुपये देने की घोषणा की।
कृषि मंत्री राणा ने कहा कि पहले के समय में हमारी संस्कृति में चूल्हे-चौके को गाय के गोबर से लीपा जाता था और फिर खाना बनाया जाता था। गाय के बछड़े खेती के काम आते थे। देश की अर्थव्यवस्था गाय से जुड़ी थी। आज अगर हम इसी परंपरा को फिर से शुरू करें तो देश का भला होगा। उन्होंने कहा कि गाय के दूध में जहर नहीं होता, गाय कोई साधारण जानवर नहीं है। अगर कोई गाय को जहर भी दे दे तो वह जहर गाय के दूध में नहीं जाता है, जबकि दूसरे जानवरों में ऐसा नहीं होता है।
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गाय माता पूज्यनीय हैं। गाय कोई साधारण जानवर नहीं है, गाय में सभी देवी-देवताओं का वास है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को बेसहारा गोवंश से मुक्त बनाया जाना चाहिए। इसके लिए हम सबको अपना काम करना होगा। गाय देश का गौरव है और आज के दिन कन्हैया ने गोवंश चराने की सेवा शुरू की थी। आज के दिन हर व्यक्ति को गोसेवा और गोसंवर्धन का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पशु पालन मंत्रालय के तहत गो मंत्रालय है। उन्होंने कृषि और पशुपालन मंत्री श्याम सिंह राणा से आग्रह किया कि वह अपने विभाग से राजस्थान की इस योजना का अध्ययन करवाएं ताकि हरियाणा में भी अलग से गो मंत्रालय बनाने की दिशा में काम किया जा सके।
इस मौके पर अक्षरधाम मंदिर कुरुक्षेत्र के प्रभारी स्वामी ज्ञान मंगल, हंसराज सिंगला, आरडी गोयल, गोशाला के प्रधान सुनील वत्स, मंगत राम जिंदल, महेंद्र सिंगला, केडीबी के सदस्य एमके मौदगिल, विजय नरूला, राजेंद्र चोपड़ा, पवन गर्ग, गुरदयाल सनहेड़ी, देवी दयाल शर्मा, डॉ. जसबीर, मुकंद लाल अरोड़ा, डॉ. रितु चौहान, प्रतीक सुधा, रामपाल शर्मा, रमाकांत शर्मा, पवन भारद्वाज आदि मौजूद थे।