हरियाणा के करनाल में धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर कृषि विभाग सख्ती से पेश आया है। विभाग ने पांच किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
अधिकारियों के मुताबिक, किसानों को यह समझना चाहिए कि सरकारी आदेशों का उल्लंघन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि कानून की नजर में भी अपराध है। प्रशासन का यह कदम प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक सख्त संदेश है कि भविष्य में ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा।
हरियाणा रिमोट सेंसिंग सेंटर से मिली जानकारी के आधार पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम स्तरीय निगरानी दल बनाए हैं। इन दलों का काम हरियाणा रिमोट सेंसिंग सेंटर से मिलने वाले आंकड़ों की जांच करना और पराली जलाने की घटनाओं का मौके पर निरीक्षण करना है।
बीती रात कृषि विभाग ने पांच किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। इनमें से चार किसान करनाल के घरौंडा गांव के हैं और एक निसिंग गांव का है। निसिंग के बुढ़नपुर में एक किसान ने एक नवंबर को पराली जलाई थी। निगरानी दल मौके पर पहुंचा तो किसान भाग गया। बाद में उसे पकड़ लिया गया।
निसिंग थाने में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। गांव शेखपुरा खालसा में सोमबीर ने लगभग दो एकड़ में पराली जलाई। ग्राम स्तरीय निगरानी दल ने 22 सितंबर को इसका पता लगाया।
घरौंडा के किसान जितेंद्र ने 25 अक्टूबर को एक एकड़ खेत में और बरसत गांव के किसान सुरेश कुमार ने 30 अक्टूबर को एक एकड़ खेत में पराली जलाई। मुंडीगढ़ी गांव के किसान चंद्रपाल ने 14 अक्टूबर को अपने खेत में पराली जलाई।
इन सभी जगहों पर निगरानी दल ने निरीक्षण किया और किसानों की गलती पाए जाने पर मामले दर्ज करवाए गए।
कृषि विभाग के सुपरवाइजर अक्षय ने बताया कि इन सभी मामलों में किसानों ने सरकारी आदेशों का उल्लंघन किया है। प्रशासन ने अब इन किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
घरौंडा के एडीओ जशनप्रीत ने बताया कि घरौंडा में 20 से ज्यादा किसानों पर केस दर्ज किए जा चुके हैं और यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने किसानों से अपील की है कि कोई भी किसान अपने खेत में पराली न जलाए। सरकार फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा दे रही है।