मिल्क केक: 160 रुपए प्रति किलो, बर्फी: 180 रुपए प्रति किलो

आप इन मिठाइयों के दाम सुनकर जितना चौंक रहे होंगे, उससे कहीं ज्यादा हैरान आप इनकी असलीयत जानकर हो जाएंगे। ये रिफाइंड-मैदा, मिल्क पाउडर और केमिकल से बनी हैं। दिवाली पर मिलावटखोरों ने हजारों क्विंटल ऐसी मिठाइयां बनाकर बाजार में बेच डालीं।

राजस्थान के दो सबसे बड़े मावा उत्पादक क्षेत्र हैं- चीथवाड़ी और खैरथल। दिवाली से कुछ दिन पहले ही खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य (चिकित्सा) विभाग ने यहां छापेमारी की थी। इसके बावजूद मिलावट नहीं रुकी। नकली मावा बनाने के लिए नया तरीका निकाला गया। मिल्क पाउडर से दूध और उसी दूध में रिफाइंड मिलाकर मावा तैयार कर बेचा गया। इस सच को कैमरे में कैद करने के लिए भास्कर टीम वहां मिठाई विक्रेता बनकर पहुंची। कई मिलावटखोरों ने दावा किया कि कोई इस मिलावट को पकड़ नहीं पाएगा।

नकली मावा का सबसे बड़ा खुलासा…

जयपुर के चौमूं में स्थित चीथवाड़ी इलाका। फेस्टिव सीजन में यहां कई फैक्ट्रियों में हजारों क्विंटल मावा तैयार होता है। जयपुर में बड़ी तादाद में सप्लाई होती है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिवाली से 4 दिन पहले (27 अक्टूबर) ही कई बड़े सेंटरों पर जाकर छापा मारा था। यहां मिल्क पाउडर के कट्टे, 250 किलो पाउडर से बना दूध, करीब 300 किलो पाउडर से बना मावा मिला था।

उसी चीथवाड़ी गांव में दिवाली से एक दिन पहले भास्कर टीम व्यापारी बनकर पहुंची। जयपुर में मिठाई की दुकान बताकर 300 किलो सस्ता मावा खरीदने की डिमांड की। कई दुकानदारों ने कहा- सस्ते वाला माल चाहिए तो रात को तैयार करेंगे। दिन में रेड का डर है।

शाम करीब 8 बजे चीथवाड़ी गांव अंधेरा होने के बाद हम रात करीब 8 बजे एक बड़ी सी फैक्ट्री में पहुंचे। वहां कोई बोर्ड नहीं लगा था। अंदर बल्ब की मध्यम रोशनी थी। बड़ी-बड़ी भट्टियों पर मावा बनाने का काम जारी था। एक वर्कर ने पूछा- क्या काम है? हमने बताया कि 300 किलो मावा लेना है। उसने हमें रुकने को बोला।

कुछ देर बाद वो कैलाश नाम के मुनीम को बुलाकर लाया।

मुनीम: कहां से आए हो।

रिपोर्टर: फागी से आए हैं। मिठाई की दुकान है। मावा कम पड़ गया है।

मुनीम: कितना लेना है?

रिपोर्टर: 300 किलो चाहिए, लेकिन जल्दी लेना है।

मुनीम: अभी नहीं मिलेगा, सुबह बनाकर देंगे।

रिपोर्टर: कब तक दोगे?

मुनीम: पहले रोजाना के ऑर्डर हैं। सुबह 8 बजे तक

रिपोर्टर: हमें हल्की क्वालिटी का चाहिए।

मुनीम: मिल जाएगा, सभी तरह का है, भाव 230 रुपए लगेगा।

रिपोर्टर: पीछे वाली फैक्ट्री में 180 रुपए मिल रहा है।

मुनीम: वो तो पूरा रिफाइंड मिलाते हैं। आप रुको..मैं बात करता हूं। (मुनीम ने अपने मालिक को फोन कर पूछा। दोनों आपस में बात करते रहे। फिर उसने रिपोर्टर को फोन देकर मालिक से बात करा दी।)

मालिक: मावे में कोई शिकायत नहीं आएगी भाई साब। ले लो जितना चाहिए।

रिपोर्टर: रेट क्या लगेगा…दूसरी बात हमें जल्दी चाहिए।

मालिक: 230 रुपए लगा देंगे। कहां से आए हो।

रिपोर्टर: फागी से आए हैं। सही रेट लगा दो। आगे भी ले जाएंगे।

मालिक: रेट सही है। लोग 280 तक बेच रहे हैं।

रिपोर्टर: ठीक है, बात कर बताता हूं।

मजदूर ने चंद मिनटों में बनाया पाउडर व रिफाइंड से 3 किलो मावा

चीथवाड़ी (जयपुर) में ही एक दूसरी फैक्ट्री के बाहर एक मजदूर से मुलाकात हुई। हमने उनसे पूछा कि सस्ता मावा कहा मिलेगा। उसने बताया कि वह 10 मिनट में मावा तैयार करके दे सकता है। चाहे कितना भी पढ़ा-लिखा अफसर हो, पकड़ नहीं पाएगा कि असली है या नकली। हमने कहा ठीक है…हमें 300 किलो मावा खरीदना है, लेकिन शर्त ये है कि आंखों के सामने तैयार करना। पहले तो वह तैयार नहीं हुआ। लेकिन जब हमने भविष्य में बड़ी डील का लालच दिया और बताया कि हम केवल तरीका जानना चाहते हैं। काफी मुश्किल के बाद वह राजी हुआ।

उसने पास के ही मार्केट से एक किलो मिल्क पाउडर (कीमत करीब 240 रुपए किलो), 250 ग्राम मैदा (कीमत 10 रुपए), 250 ग्राम रिफाइंड (कीमत 35 रुपए) लाने को बोला। हम एक कारखाने में सामान लेकर पहुंचे। एक किलो पाउडर से उसने करीब 7 किलो दूध बना दिया। उस दूध को उबालने के लिए चढ़ाया। करीब 250 ग्राम मैदा डाला। फिर चिकनाई के लिए रिफाइंड तेल डाल दिया। 15 से 20 मिनट में ही तेज आंच पर उसने 3 किलो से ज्यादा का मावा बना डाला। जबकि 3 किलो मावा बनाने के लिए फुल क्रीम 12 से 15 किलो दूध चाहिए होता है।

रिफाइंड से तैयार मावा देखने में बिल्कुल असली जैसा ही लग रहा था। लेकिन जब हमने उसे थोड़ा सा चखकर देखा तो असली-नकली का फर्क साफ मालूम पड़ रहा था।

खैरथल से जयपुर, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद में बेच रहे मिल्क केक

अगली पड़ताल के लिए हम अलवर के खैरथल पहुंचे। यह इलाका मिल्क केक के लिए काफी प्रसिद्ध है। डेली हजारों क्विंटल मावा जयपुर, दिल्ली, गुरुग्राम (गुड़गांव) व फरीदाबाद जैसे बड़े शहरों में सप्लाई होता है। खैरथल में कई फैक्ट्रियां थोक में मिल्क केक बनाती हैं। वहां बनने वाली मिठाइयों के भाव जानकर हम चौंक गए। जो मिल्क केक 500 रुपए किलो मार्केट में बिक रहा है, वो यहां 200 रुपए में बेचा जा रहा है। लेकिन वो बनता कैसे है, उसकी हकीकत चौंकाने वाली है।

200 रुपए किलो मिल्ककेक, 180 में डोडा बर्फी

हम जसोरिया कॉलोनी (खैरथल, अलवर) की एक बड़ी फैक्ट्री में पहुंचे। अंदर काफी मजदूर भट्टियों पर काम कर रहे थे। एक तरफ मिल्क पाउडर के कई कट्टे और रिफाइंड के पीपे रखे हुए साफ दिखाई दे रहे थे। बड़े बर्तनों में दूध भी रखा हुआ था। वहां एक युवक से हमने कहा कि हमारी भिवाड़ी में फैक्ट्री है। कर्मचारियों के लिए थोक में मिठाई लेनी है। उसने सामने बने कारखाने में जाकर सेठ से बात करने को कहा।

सेठ: बताओ क्या काम है।

रिपोर्टर: मिठाई लेनी है

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