अन्नकूट उत्सव और विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन
राज्यभर में आज अन्नकूट उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान को छप्पन भोग की शानदार झांकी सजाई जा रही है।
अलग-अलग जिलों में अन्नकूट और अन्य कार्यक्रम:
* अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, गाय रेस, खेखरा और पटाखा युद्ध जैसे आयोजन दीपावली के दूसरे दिन पूरे प्रदेश में आयोजित किए जाते हैं।
* अन्नकूट के रूप में विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है। मंदिरों और घरों में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।
* जयपुर और आसपास के जिलों में गोशालाओं में दान किया जाता है और गोबर लाकर गोवर्धन भगवान की प्रतिमाएँ बनाई जाती हैं।
जयपुर में अन्नकूट प्रसादी और गोवर्धन पूजा:
* जयपुर और कई अन्य मंदिरों में अन्नकूट भोग का भव्य आयोजन होता है।
* मंदिरों में चावल, मूंग, बाजरा, सब्जियाँ और कढ़ी सहित विभिन्न प्रसाद तैयार किए जाते हैं।
नैनवां में पटाखा युद्ध की अनूठी परंपरा:
* बूंदी के नैनवां में पटाखा युद्ध की 44 वर्ष पुरानी परंपरा आज भी कायम है।
* दीपावली के अगले दिन युवा दो दलों में बंट जाते हैं और एक-दूसरे पर जलते पटाखे फेंकते हैं। यह परंपरा उत्साह और साहस का प्रतीक है।
राजसमंद में अन्नकूट लूट:
* श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा में अन्नकूट की लूट एक सदियों पुरानी परंपरा है।
* आदिवासी श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होते हैं और जब दरवाजे खोले जाते हैं, तो वे अन्नकूट प्रसाद को लूटने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
डूंगरपुर में गाय दौड़:
* डूंगरपुर के छापी गांव में “गाय दौड़” की 200 वर्ष पुरानी परंपरा चली आ रही है।
* शनिवार को 200 से अधिक गायों ने एक साथ दौड़ लगाई, जिसे लोगों ने बहुत उत्साह के साथ देखा।
भीलवाड़ा में गोवंश की दीपावली:
* भीलवाड़ा में अन्नकूट को “गोवंश की दीपावली” के रूप में जाना जाता है।
* पशुपालक अपने पशुओं को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं, इस दिन को उनके लिए विशेष मानते हुए।