श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा को कम करने पर बवाल

श्रीलंका: पूर्व राष्ट्रपति के विशेषाधिकार पर सियासी घमासान

कोलंबो: श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के विशेषाधिकार को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। सत्तारूढ़ गठबंधन ने पूर्व राष्ट्रपति के लिए निर्धारित विशेष सुरक्षा गार्डों की संख्या घटाने का फैसला किया है, जिसका विरोध हो रहा है।

विपक्षी दल इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं और इसे श्रीलंका के लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए खतरा बता रहे हैं। उनका तर्क है कि पूर्व राष्ट्रपति को सुरक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है और यह उनके विशेषाधिकारों का हिस्सा है।

दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले विशेषाधिकारों की समीक्षा करने और उन्हें कम करने की जरूरत है। उनका तर्क है कि यह कदम सरकारी खर्च को कम करने और भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।

खबरों के अनुसार, सरकार ने राजपक्षे से जुड़े सुरक्षा गार्डों की संख्या 230 से घटाकर 64 करने का फैसला किया है। इस कदम से पूर्व राष्ट्रपतियों को प्राप्त होने वाली सुरक्षा और विशेषाधिकारों की प्रकृति पर बहस छिड़ गई है।

विपक्षी पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (SLPP) ने सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने कहा है कि यह फैसला पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा से समझौता करेगा और उन्हें राजनीतिक उत्पीड़न के लिए खुला छोड़ देगा।

सरकार के इस फैसले पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। अदालत वर्तमान में एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें पूर्व राष्ट्रपतियों को प्रदान किए जाने वाले विशेषाधिकारों की वैधता को चुनौती दी गई है।

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