आज रानियां, सिरसा, हरियाणा स्थित जैन स्थानक में विराजमान श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि महाराज ने पर्युषण पर्व के प्रारंभिक दिवस के अवसर पर अपना प्रवचन दिया।
उन्होंने कहा कि पर्युषण एक आत्मशुद्धि का पर्व है, जहाँ हम अपनी आत्मा का साक्षात्कार करते हैं। हमें विनम्रता से कठोर हृदयों को भी पिघलाना चाहिए।
मुनि महाराज ने आगे कहा कि जिस तरह धुंधले शीशे में हमारा प्रतिबिंब साफ नहीं दिखता, उसी तरह आत्मा में लगे विकारों को हटाए बिना हम अपनी सच्ची छवि नहीं देख सकते। इसलिए, इस पर्व में आत्मशुद्धि करें और अपने भीतर झाँकें। यह प्रेम को परिष्कृत करने का भी पर्व है।
उन्होंने तप, आराधना और साधना के महत्व पर बल दिया, जो आत्मा के निरंतर विकास के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि पर्युषण शब्द “परि” (चारों ओर से) और “उसन” (विकारों को दूर करना) से बना है। इसका अर्थ है आत्मा के सभी विकारों को दूर करना और आत्मविकास पर ध्यान देना।
मुनि महाराज ने आह्वान किया कि हम अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से भरे रहें। उन्होंने कहा कि आज का दिन सभी जीवों के लिए उत्सव का अवसर है और हमें अपने आप को सौभाग्यशाली समझना चाहिए।