900 करोड़ के साथ रेलवे ला रहा ऑटोमैटिक सिगनलिंग सिस्टम, गांधीनगर-जयपुर-कानोता रूट पर भी होगा इस्तेमाल

रेलवे यात्रा सुरक्षा में वृद्धि के लिए तकनीकी नवाचार

रेलवे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कदम उठा रहा है। इसमें ट्रेनों के संचालन को सुरक्षित बनाने के लिए उन्नत तकनीकों को शामिल करना शामिल है। इन नवाचारों के परिणामस्वरूप बेहतर सुरक्षा उपायों के साथ-साथ अधिक ट्रेन संचालन और ट्रेनों की गति में वृद्धि हुई है।

हाल ही में, रेलवे ने ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए स्वचालित सिग्नल प्रणाली को लागू करना शुरू कर दिया है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने सिग्नल सिस्टम को उन्नत करने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं।

स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के लाभ:

* बढ़ी हुई सुरक्षा: स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी सुनिश्चित करती है, टक्करों के जोखिम को कम करती है।
* वर्धित लाइन क्षमता: यह प्रणाली एक ब्लॉक खंड में एकाधिक ट्रेनों को संचालित करने की अनुमति देती है, जिससे लाइन क्षमता में वृद्धि होती है।
* बेहतर समयपालन: स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली ट्रेनों के लेट होने की समस्या को कम करती है, जिससे यात्रियों को सुविधा होती है।

उत्तर पश्चिम रेलवे में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली:

उत्तर पश्चिम रेलवे में लगभग 90 किलोमीटर अत्याधुनिक स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली स्थापित की गई है। यह कार्य 450 किलोमीटर रेल मार्ग पर किया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग 900 करोड़ रुपये है।

स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के साथ स्थापित रेल खंड:

* अजमेर-साखुन (57 किलोमीटर)
* गांधीनगर जयपुर-कानोता (18 किलोमीटर)
* गांधीनगर जयपुर-जयपुर-कनकपुरा (14.3 किलोमीटर)

रेलवे आधुनिक सिग्नल प्रणालियों की स्थापना के माध्यम से रेल संचालन को सुरक्षित, कुशल और तेज़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन नवाचारों से यात्रियों के लिए सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक यात्रा अनुभव सुनिश्चित होगा।

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