सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को राहत प्रदान की
सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें मलिंगा की जमानत रद्द कर दी गई थी। करीब 17 दिनों पहले, 5 जुलाई को, हाई कोर्ट ने मलिंगा की जमानत निरस्त कर दी थी और उन्हें 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है और राज्य सरकार और एईएन हर्षदापति को नोटिस जारी किया है। नोटिस में जवाब मांगा गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
मलिंगा पर धौलपुर के बाड़ी डिस्कॉम कार्यालय में एईएन और जेईएन पर हमला करने का आरोप है। हाई कोर्ट ने ही दो साल पहले कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मलिंगा को जमानत दी थी। हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने जमानत के दुरुपयोग का हवाला देते हुए जमानत रद्द कर दी थी।
28 मार्च, 2022 को बाड़ी डिस्कॉम कार्यालय में एईएन हर्षदापति और जेईएन नितिन गुलाटी के साथ मारपीट की घटना हुई थी। एईएन हर्षदापति ने 29 मार्च को मलिंगा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा और एससी-एसटी अधिनियम का उल्लेख किया गया था। मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
इस घटना के बाद, विद्युत निगम के कर्मचारियों ने मलिंगा की गिरफ्तारी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। मलिंगा ने तत्कालीन विधायक राजेंद्र गुढ़ा के साथ सीएम आवास पहुंचकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी। इसके बाद, मलिंगा ने सरेंडर कर दिया था।
11 मई को, मलिंगा ने जयपुर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। उन्हें 12 मई को एससी-एसटी अदालत में पेश किया गया था, जिसने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद, मलिंगा ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने 17 मई, 2022 को मलिंगा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।