दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाने की पहल
भारत में हजारों दिव्यांग हैं जो व्हीलचेयर के बिना नहीं चल सकते। युवा होने के बावजूद, उन्हें आजीविका के लिए अपने परिवारों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस पीड़ा को दूर करने के लिए, पाली के स्वावलंबन फाउंडेशन ने एक प्रशंसनीय पहल शुरू की है।
इनक्लूडिजाइन कार्यक्रम
इस कार्यक्रम में, ऑनलाइन कंप्यूटर ग्राफिक्स डिज़ाइन का कोर्स सिखाया जाता है। देश भर के युवा दिव्यांग इस कोर्स से लाभ उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कोर्स ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है।
कोर्स की विवरण
25-दिवसीय इस कोर्स में, व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित दिव्यांगों ने आवेदन किया। चयनित दिव्यांगों को दिल्ली की विशेषज्ञ कंप्यूटर डिजाइनर महक कौर द्वारा ग्राफिक डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वे सोशल मीडिया पोस्ट बनाने, शादी के कार्ड डिज़ाइन करने और विजिटिंग कार्ड बनाने जैसे कौशल सीख रहे हैं। इस तरह, दिव्यांग अपने घरों से ही काम कर सकते हैं और आय अर्जित कर सकते हैं।
लागत प्रभावी प्रशिक्षण
स्वावलंबन फाउंडेशन के वैभव भंडारी बताते हैं कि दिव्यांगों को केवल 500 रुपए में यह कोर्स कराया जा रहा है। महक कौर ओबेराय को हायर किया गया है जो प्रतिदिन शाम 5 से 7 बजे तक ऑनलाइन प्रशिक्षण देती हैं।
आशा की किरण
इनक्लूडिजाइन केवल एक कोर्स नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो अपनी शारीरिक सीमाओं के बावजूद डिजिटल युग में सफल और आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहते हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. वैभव भंडारी का मानना है कि यह कार्यक्रम दिव्यांगों को डिज़ाइनिंग कौशल में प्रशिक्षित करता है। इससे वे अपनी शारीरिक सीमाओं के बावजूद आत्मनिर्भर बन सकते हैं और घर बैठे आय अर्जित कर सकते हैं।
दिव्यांगों के अनुभव
दिव्यांग भरत सोनी, सर्मिष्ठा गोयल, श्रुति कुमारी कर्ण, युगांधर कैलास देओरे और कृति जलान ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि इस कोर्स ने उन्हें समय प्रबंधन, डिजाइनिंग कौशल और आत्मविश्वास दिया है।