संस्कृत में बहस करने वाले अधिवक्ता ने कभी नहीं हारा कोई केस

विख्यात अधिवक्ता श्यामजी उपाध्याय की बचपन की यादें

नई दिल्ली: विख्यात अधिवक्ता और कानूनी दिग्गज श्यामजी उपाध्याय ने हाल ही में अपने बचपन की एक दिलचस्प घटना साझा की।

उपाध्याय ने खुलासा किया कि जब वह लगभग 10 वर्ष के थे, उनके पिताजी उन्हें किसी काम से कचहरी ले गए थे। उन्होंने याद किया कि उनके पिता संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे।

उपाध्याय ने कहा, “मुझे वह दिन अच्छी तरह याद है। मैं अपने पिता के साथ कचहरी गया था। उन्होंने मुझसे कहा कि कानून का पेशा बहुत महत्वपूर्ण है और यह समाज को न्याय दिलाने में मदद करता है।”

उपाध्याय की ये बचपन की यादें उनके दिमाग पर आज भी ताजा हैं और उन्होंने कानून के प्रति उनके जुनून को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह आज भी कचहरी में सम्मान के साथ प्रैक्टिस करते हैं और लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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