हाईकोर्ट ने गलत पीठ महंत की नियुक्ति रद्द की, पीठ की बेची संपत्तियों की बिक्री को भी निरस्त किया, सरकार को पीठ का अधिग्रहण करने का आदेश दिया

राजस्थान हाई कोर्ट ने गलता पीठ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को रद्द किया

राजस्थान हाई कोर्ट ने जयपुर के प्रसिद्ध गलता पीठ तीर्थ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने अवधेशाचार्य और अन्य की अपीलों को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

अदालत ने सरकार को पीठ को अपने कब्जे में लेने और 1943 की स्थिति बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने गलता पीठ की अब तक बेची गई संपत्तियों की बिक्री को भी अवैध घोषित किया है।

महंत अवधेशाचार्य, उनकी मां गायत्री देवी और अन्य ने देवस्थान आयुक्त के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। अदालत ने 22 फरवरी को सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अवधेशाचार्य की नियुक्ति अवैध:

अदालत ने कहा कि गलता पीठ के महंत अवधेशाचार्य स्वयंभू हैं और उनकी नियुक्ति अवैध है। जयपुर राज्य ने उनके पिता रामोदाचार्य को महंत नियुक्त किया था। रामोदाचार्य की मृत्यु के बाद, महंत नियुक्त करने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है। इसलिए, अवधेशाचार्य की नियुक्ति अवैध है।

सरकार को पीठ का विकास करना चाहिए:

अतिरिक्त महाधिवक्ता बसंत सिंह छापा ने कहा कि हाई कोर्ट ने सरकार को गलता पीठ और उससे जुड़ी संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि गलता पीठ जन भावना का विषय है और सरकार को पीठ का विकास अयोध्या के राम मंदिर और उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तरह करना चाहिए।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि सरकार गलता पीठ में 1943 की स्थिति बहाल करे।

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