27 अनाजों से भविष्यवाणी: इस बार सावन-भादो में अच्छी वर्षा की संभावना; श्रीनाथ मंदिर में 350 वर्ष पुराना परीक्षण बता रहा, फसल अच्छी-चारा कम, पश्चिमी हवाओं का प्रभाव रहेगा

350 वर्षीय आषाढ़ी तौल परंपरा नाथद्वारा में निभाई गई

नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में, आषाढ़ी तौल परंपरा, जिसका इतिहास 350 वर्षों से अधिक पुराना है, धूमधाम से निभाई गई। इस परंपरा से आने वाले वर्ष में व्यापार, फसल और वर्षा के पैटर्न की भविष्यवाणी की जाती है।

सोमवार को भगवान श्रीनाथजी के ग्वाल दर्शन के बाद हुई तौल के अनुसार, इस वर्ष प्रदेश में अच्छी फसल होगी। हालांकि, पशुओं के लिए चारे की कमी की संभावना है। साथ ही, अच्छी वर्षा होने की भी भविष्यवाणी की गई है। बताया गया कि पश्चिमी दिशा से आने वाली हवाओं का प्रभाव अधिक रहेगा।

मंदिर के मुख्य पुरोहित डॉ. परेश नागर पंड्या ने जानकारी दी कि खर्च भंडार में रविवार शाम को 27 प्रकार के अनाज और अन्य सामग्री तौलकर रखी गई थी। तौल के दौरान वस्तुओं के वजन में वृद्धि या कमी के आधार पर अगले वर्ष का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इस बार आषाढ़ी तौल में वजन में वृद्धि दर्ज की गई है।

आषाढ़ी तौल की सदियों पुरानी परंपरा

नाथद्वारा में, हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को श्रीनाथजी मंदिर के खर्च भंडार में आषाढ़ी तौल परंपरा निभाई जाती है। इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन माना जाता है कि श्रीनाथजी 352 वर्ष पहले ब्रज से मेवाड़ पधारे थे। उस समय वे सिहाड़ गांव में रुके थे। 20 फरवरी, 1672 को, श्रीनाथजी नाथद्वारा के पाट पर विराजमान हुए थे। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।

इस परंपरा के अनुसार, 22 प्रकार के धान, काली और लाल मिट्टी, नमक, गुड़ और चारा सहित कुल 27 वस्तुओं को तौला जाता है। इस तौल से अगले साल होने वाली फसल, व्यापार और मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

परंपरा की प्रक्रिया

रविवार को पूर्णिमा पर रखी गई वस्तुओं को सोमवार सुबह भगवान श्रीनाथ के ग्वाल दर्शन के दौरान पुनः तौला गया। मुख्य पुरोहित डॉ. परेश नागर ने बताया कि इस साल अनाज की पैदावार अच्छी होगी और वर्षा सामान्य से अधिक होगी, जिसमें गरज और तड़ित की संभावना है। पूर्वानुमान के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल आषाढ़ में 5%, श्रावण में 4%, भाद्रपद में 3% और आश्विन में 4% अधिक वर्षा होने की संभावना है। साथ ही, पश्चिमी हवाओं के कारण तेज हवाएं और वर्षा होगी।

24 वस्तुओं के वजन में वृद्धि

डॉ. नागर ने कहा कि दो वस्तुओं, कपास और लाल गारा (पशुओं के लिए मिट्टी), का वजन समान रहा, जिसका अर्थ है कि उनके उत्पादन में अगले वर्ष कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, घास के वजन में कमी आई है। 24 अन्य वस्तुओं के वजन में वृद्धि हुई है, जिनमें हरा मूंग, मक्का, बाजरा, ज्वार, गेहूं और अन्य अनाज शामिल हैं। गौरतलब है कि काली मिट्टी को मनुष्य और लाल मिट्टी को पशुओं का प्रतीक माना जाता है।

किसानों और व्यापारियों का अटूट विश्वास

आसपास के गांवों में किसान इस पूर्वानुमान के आधार पर अपनी फसलों की बुवाई करते हैं। अनाज व्यापारी भी अपने स्टॉक की योजना बनाने के लिए इस पूर्वानुमान पर भरोसा करते हैं।

मौसम विभाग का अनुमान

मौसम विभाग ने भी इस साल सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया है। जयपुर मौसम केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, इस बार राज्य में मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। कई स्थानों पर सामान्य वर्षा और अन्य में सामान्य से अधिक वर्षा होने का पूर्वानुमान है। पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर और फलोदी और पूर्वी राजस्थान के अलवर और झुंझुनूं के इलाकों में अधिक वर्षा होने की संभावना है। राज्य में मानसून के मौसम के दौरान सामान्य वर्षा 435.6 मिमी होती है, लेकिन इस साल इसमें 6% की वृद्धि होने की उम्मीद है।

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