न्यूयॉर्क कोर्ट ने 1965 में चुराई गई शिव मंदिर की मूर्तियों को भारत को सौंपने का आदेश दिया

उदयपुर का तनेश्वर महादेव मंदिर

उदयपुर शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर तनेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर 40 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है और इसके परिसर में मंशापूर्ण महादेव का धागा पहन कर उपवास रखने वाले हजारों श्रद्धालुओं द्वारा पूजा की जाती है।

यहां स्थित प्रतिमाओं के चबूतरे को राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने संरक्षित स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया है। यह स्थान सुर्खियों में तब आया जब यहां से गुप्त काल की दुर्लभ मूर्तियाँ चोरी हो गईं और अमेरिका के न्यूयॉर्क कोर्ट ने बरामद कर इन्हें 2022 में तनेश्वर उदयपुर के कानूनी हकदार को सौंपने का आदेश दिया।

चोरी की गई मूर्तियाँ

1965 में, दो विदेशी मेहमानों ने मंदिर में ठहरने के लिए आश्रय लिया और रात में चौकीदार से हाथापाई करके पांच-छह मूर्तियाँ चुरा लीं। ये मूर्तियाँ माता देवियों की थीं और लगभग दो फीट ऊंची थीं। तस्करी की गई मूर्तियाँ बाद में पश्चिमी संग्रहालयों के प्रतिष्ठित दीर्घाओं तक पहुँच गईं।

मंदिर का इतिहास

कहा जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध के बाद, महाराणा प्रताप ने चावंड जाने से पहले यहाँ पूजा की और अपनी सेना के साथ सीसा मगरा में रुके थे। इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पेरवा पक्षी पाए जाते हैं। मंदिर का नाम तनेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा है, जो एक जगह का नाम नहीं बल्कि मंदिर परिसर है।

परिसर में अन्य देवता

मंदिर परिसर में आतरा माता, आशापुरा माता, शिवलिंग, भगवान विष्णु की विहंगम प्रतिमा और हनुमान जी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।

चोरी और कानूनी कार्रवाई

मूर्तियों की चोरी की घटना की 2003 में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। अमेरिका में न्यूयॉर्क के एक संग्रहालय से बरामद मूर्तियों की अनुमानित आयु 2,500 साल है। मंदिर मंडल समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मूर्तियों को वापस स्थापित किया जाएगा।

पानी का अथाह प्रवाह

मंदिर परिसर 5 बीघा भूमि पर फैला हुआ है और इसके नीचे एक विशाल जलकुंड है। मंदिर के निर्माण को आसान बनाने के लिए बड़ी-बड़ी चट्टानों को खोदकर नींव रखी गई थी। कुंड में साल भर पानी रहता है और मंदिर परिसर के नीचे से एक गोमुख भी निकलता है, जहां से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पानी बहता रहता है।

पूर्व सरपंच का कथन

पूर्व सरपंच ने मंदिर को चमत्कारी बताया। मंदिर के बाहर स्थित एक कुएँ में बिना किसी मोटर के पानी आता रहता है।

वर्तमान स्थिति

राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग न्यूयॉर्क कोर्ट से बरामद मूर्तियों को वापस लाने के लिए काम कर रहा है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, मूर्तियों को उनके कानूनी हकदार को सौंप दिया जाएगा।

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