छत्तीसगढ़ में राजस्थान को कोयला खदान के लिए वन विभाग की मंजूरी प्राप्त होने के मुख्यमंत्री भजनलाल के दावे को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
विधानसभा में मीडिया से बातचीत में पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जिस तरह साय ने भजनलाल के बयान को खारिज किया है, यह दर्शाता है कि सीएम स्वविवेकपूर्ण अध्ययन के बिना बयान दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भजनलाल की बयानबाजी पूरे राज्य की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही है।
डोटासरा ने कहा, “इसलिए हम कहते हैं कि यह एक पर्ची सरकार है। पर्ची सही है या गलत, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें बस पर्ची को पढ़कर सुनाना है।”
विधायक यूनुस खान ने कहा, “सीएम भजनलाल शर्मा एक अच्छे इंसान हैं। पता नहीं कौन उनसे बयानबाजी करवा रहा है। उन्होंने यमुना जल समझौते पर बयान दिया था, जिसे हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में खारिज करते हुए कहा था कि वे राजस्थान को केवल मानसून के दौरान अतिरिक्त पानी देंगे।”
इस पूरे मामले पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि सरकार को विरासत में मिले पावर प्लांट कोयले की कमी का सामना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उस समय दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं, लेकिन आपसी तालमेल के अभाव में राजस्थान को छत्तीसगढ़ में खनन की अनुमति नहीं मिली।
नागर ने कहा, “लेकिन हमारी सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ ने हमें अनुमति दी। हमें दिसंबर 2023 को साइट मंजूरी मिली थी। इसमें से 56 हेक्टेयर जमीन राजस्थान को सौंपी गई है। इससे राजस्थान को प्रतिदिन 9 रैक कोयला मिल रहा है।”
उन्होंने कांग्रेस और अशोक गहलोत पर राजनीति करने का आरोप लगाया। नागर ने कहा कि साय नए कोल ब्लॉक से अनजान हो सकते हैं क्योंकि राजस्थान को दो और नए ब्लॉक मिलने बाकी हैं, लेकिन गहलोत ने जानबूझकर इस मुद्दे पर राजनीति की कोशिश की है।