बनेठा कस्बे में सोमवार को धार्मिक उल्लास और पारंपरिक रस्मों के साथ पीपल और सालिगराम (ठाकुरजी महाराज) का विवाह संपन्न हुआ।
हिंदू परंपराओं के अनुसार, आचार्य ने मंगल गीतों के बीच मंत्रोच्चार के साथ फेरे संपन्न कराए। आसपास के हजारों लोग बाराती और घराती बनकर इस विवाह समारोह में शामिल हुए। उत्सव के दौरान आतिशबाजी की गई और बैंड-बाजों के साथ चाक बासन और निकासी निकाली गई।
विवाह से पहले पीपल और सालिगराम जी की जन्म कुंडलियों का मिलान भी किया गया था। हल्दी, मेहंदी समेत सभी अनुष्ठान पारंपरिक तरीके से निभाए गए। बाराती और घराती दोनों ने जमकर नृत्य किया।
शादी से पहले पीपल और सालिगराम जी को दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाया गया था। विवाह संपन्न कराने के लिए सैन समाज सखवाया परिवार ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, पीपल वृक्ष स्त्रीलिंग है और इसका विवाह करना अनिवार्य माना जाता है। इसके विवाह के बाद ही इसे पवित्र माना जाता है। इस विवाह को शुभ मानते हुए, लोगों का मानना है कि पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पूजा के लिए यह पवित्र माना जाता है।