शेयर मार्केट में धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार 2 व्यक्ति, 1.24 करोड़ की ठगी का खुलासा
अजमेर पुलिस ने शेयर मार्केट में भारी मुनाफे का लालच देकर 1.24 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने इन दोनों से 19 लाख 46 हजार 800 रुपये नकद, 14 मोबाइल फोन, 8 सिम कार्ड, 4 एटीएम डेबिट कार्ड और अन्य व्यक्तियों की पासबुकें बरामद की हैं। इसके अलावा, पुलिस ने मामले में 8 लाख 75 हजार 500 रुपये के बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया है।
साइबर थाना पुलिस ने इस मामले में 28 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है। गिरफ्तार दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। इस मामले का खुलासा सोमवार को अजमेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) देवेंद्र बिश्नोई द्वारा किया गया।
एसपी बिश्नोई ने बताया कि पीड़ित को सोशल मीडिया पर संपर्क करके शेयर मार्केट में अधिक लाभ का वादा किया गया और मोतीलाल ओसवाल पीएमएस का एक फर्जी ऐप डाउनलोड करवाया गया। बाद में, इस ऐप के माध्यम से पीड़ित से कई किश्तों में लगभग 1 करोड़ 24 लाख रुपये की ठगी की गई। पीड़ित की शिकायत के आधार पर साइबर थाने में मामला दर्ज किया गया और सब-इंस्पेक्टर मनीष चरण के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
टीम ने संबंधित बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग से आरोपियों की पहचान की। इसके बाद, पुलिस ने नागौर जिले के कुचेरा निवासी हरीश शर्मा और नागौर जिले के डेगाना निवासी रघुनाथ को गिरफ्तार किया।
एसपी ने बताया कि हरीश शर्मा के कब्जे से 16 लाख 56 हजार 800 रुपये नकद और दो मोबाइल फोन बरामद किए गए, जबकि रघुनाथ के कब्जे से 12 मोबाइल फोन, चार पीएनबी बैंक की अन्य व्यक्तियों की पासबुकें, चार एटीएम डेबिट कार्ड, आठ मोबाइल सिम और 2 लाख 90 हजार रुपये नकद बरामद किए गए।
मामले में 28 अन्य आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों आरोपियों से 19 लाख 46 हजार 800 रुपये नकद जब्त किया गया है और 8 लाख 75 हजार 500 रुपये के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। दोनों गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है।
एसपी बिश्नोई ने बताया कि पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को ऊंचे मुनाफे का झांसा देते थे। फिर, वे निवेश के नाम पर फर्जी तरीके से बैंक खातों में पैसे जमा करवाते थे, जिसे बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर फर्जी बैंक खातों में जमा कर दिया जाता था और नकदी निकाल ली जाती थी।