बीकानेर: लकवाग्रस्त मरीज़ वीरूराम को जांच के लिए अगले दिन का इंतज़ार, चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल
बीकानेर, [दिनांक] – बीकानेर निवासी 60 वर्षीय वीरूराम को लकवा का दौरा पड़ने के बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल रेफर किया गया। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचे वीरूराम को न तो ठीक से दिखाई दे रहा है और न ही वे बोल पा रहे हैं। उनके शरीर में यूरिन की नली भी लगी हुई है।
परिजनों का आरोप है कि 40 डिग्री से अधिक तापमान में वीरूराम को पेड़ की छांव के नीचे इंतज़ार करना पड़ा, क्योंकि डॉक्टरों ने जांच अगले दिन के लिए टाल दी। यह स्थिति तब है, जब हाल ही में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के नेतृत्व में चिकित्सा विभाग ने घोषणा की थी कि परामर्श के दिन ही मरीज़ की पैथोलॉजी जांच की जाएगी।
राज्यभर में लचर स्वास्थ्य सेवाएं, घोषणाएं खोखली
यह घटना चिकित्सा विभाग की घोषणाओं की पोल खोलती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से ऐसी ही शिकायतें आ रही हैं।
बूंदी: जिला अस्पताल के यूरिन जांच केंद्र पर ताला लगा हुआ है। CBC, डेंगू, टाइफाइड, थायराइड, लिवर फंक्शन और CRP जैसी 6 महत्वपूर्ण जांचें एक महीने से बंद हैं। बताया जा रहा है कि मशीन खराब है और स्टाफ की कमी है।
जयपुर: राजधानी जयपुर के सेठी कॉलोनी स्थित सैटेलाइट अस्पताल में प्रतिदिन 5000 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं, लेकिन लैब टेक्नीशियन के केवल 6 पद ही स्वीकृत हैं।
बाड़मेर: मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एक मरीज को पेट में तकलीफ होने पर सोनोग्राफी के लिए डेढ़ महीने बाद की तारीख दी गई।
700 पद खाली, 15 हजार टेक्नीशियन की जरूरत
प्रदेश में वर्तमान में लगभग 5800 लैब टेक्नीशियन कार्यरत हैं, जबकि 700 पद खाली हैं। लैब टेक्नीशियन संघ के अनुसार मौजूदा जांच भार को देखते हुए कम से कम 15,000 टेक्नीशियन की आवश्यकता है। संघ के प्रदेश प्रवक्ता महेश सैनी ने कहा कि हर साल कई सीएचसी को उप जिला अस्पताल का दर्जा दे दिया जाता है, लेकिन स्टाफ वही रहता है। ऐसे में एक टेक्नीशियन 24 घंटे कैसे काम करे और रिपोर्ट समय पर दे, ये एक बड़ा सवाल है।
इस घटनाक्रम ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और चिकित्सा विभाग को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।