अजमेर में ‘सेवन वंडर’ पर चला बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार तोड़े जा रहे हैं प्रतिमाएं
अजमेर, [दिनांक]: अजमेर की आनासागर झील के किनारे स्थित ‘सेवन वंडर’ को तोड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके निर्माण को वेटलैंड नियमों का उल्लंघन मानते हुए इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया था। सोमवार से ही यहां जेसीबी मशीनों से प्रतिमाओं को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “जल निकायों और आर्द्र भूमि पर अतिक्रमण करके शहर स्मार्ट नहीं बन सकते।” अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि नियमों का उल्लंघन होने पर निर्माण चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, उसे तोड़ा जाना चाहिए।
‘सेवन वंडर’ का निर्माण स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। इसमें दुनिया के सात अजूबों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई थीं, जिनमें स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, एफिल टावर और ताजमहल शामिल हैं। इसका उद्देश्य अजमेर में पर्यटन को बढ़ावा देना था।
इस निर्माण के खिलाफ बीजेपी के पूर्व पार्षद अशोक मलिक ने याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इससे आनासागर झील के आसपास वेटलैंड क्षेत्र का नुकसान हो रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन मानते हुए ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
निर्माण से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम:
* 2016: अजमेर का स्मार्ट सिटी मिशन में चयन।
* 2022: तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘सेवन वंडर’ का उद्घाटन किया।
* मार्च 2023: बीजेपी के पूर्व पार्षद ने NGT में याचिका दायर की।
* अगस्त 2023: NGT ने निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया।
* फरवरी 2025: सुप्रीम कोर्ट ने NGT के आदेश को बरकरार रखा।
‘सेवन वंडर’ को तोड़ने के साथ ही आनासागर के पास बने फूड कोर्ट और गांधी स्मृति उद्यान में भी अवैध निर्माण को हटाया जा रहा है।
इस कार्रवाई से स्थानीय रोजगार पर असर पड़ने की संभावना है। ‘सेवन वंडर’ में पर्यटकों के आने से ई-रिक्शा और ऑटो चालकों को अच्छी आमदनी होती थी, जो अब प्रभावित होगी।
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों का मानना है कि नियमों का पालन करना जरूरी है, वहीं कुछ लोग इसे शहर के पर्यटन के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं। युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया।
अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने इस स्थल को सालाना 87 लाख रुपये में ठेके पर दिया था, जहां प्रवेश शुल्क भी लिया जाता था। ‘सेवन वंडर’ को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते थे।