जोधपुर के एमडीएम हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने किया दुर्लभ ऑपरेशन, महिला के पेट से निकाली विशाल गांठ
जोधपुर, : जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल (एमडीएमएच) में डॉक्टरों की एक टीम ने एक जटिल और दुर्लभ ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। डॉक्टरों ने 42 वर्षीय महिला के पेट से 35x22x16 सेमी आकार की यकृत-पित्त प्रणाली की लसिका नलिकाओं में गांठ (एक्स्ट्रा हेपेटिक हेपटोबिलियरी लिंफेंजियोमा सिस्ट) को निकाला है। ऑपरेशन के बाद महिला पूरी तरह से स्वस्थ है।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह अब तक के सबसे बड़े मामलों में से एक माना जा रहा है। एमडीएमएच के अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि गत दिनों 42 वर्षीय एक महिला पेट में भारीपन, दर्द, कब्ज और पीलिया जैसी समस्याओं से जूझ रही थी। सर्जिकल आउटडोर में जांच के बाद महिला को 12 फरवरी को भर्ती किया गया। यूनिट प्रभारी डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन में हेपटोबिलियरी सिस्टम से जुड़े एक असामान्य बड़े सिस्ट की पहचान की।
डॉक्टरों ने बताया कि सिस्ट का आकार इतना बड़ा था कि वह पाचन तंत्र और आसपास के अंगों पर दबाव डाल रहा था। सिस्ट लिवर के ऊपरी हिस्से और ज़िफ़िस्टर्नम से शुरू होकर नीचे पेल्विस तक फैल गया था, जिसके कारण आंतों में रुकावट भी हो रही थी।
वरिष्ठ सर्जनों की टीम ने 21 फरवरी को करीब तीन घंटे तक चले जटिल ऑपरेशन में गांठ को निकाला। डॉक्टरों ने बताया कि सिस्ट महिला के पित्ताशय, लिवर, कॉमन बाईल डक्ट, डुओडिनम और आमाशय के बीच चिपकी हुई थी।
ऑपरेशन टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि हेपेटोबिलियरी लिम्फांजियोमा एक दुर्लभ सौम्य ट्यूमर है, जो लसीका वाहिकाओं से उत्पन्न होता है और यकृत तथा पित्त प्रणाली को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि इतने बड़े हेपटोबिलियरी सिस्टम की लिंफेंजियोमा सिस्ट का मिलना और उसे सफलतापूर्वक निकाल पाना एक बड़ी उपलब्धि है। यदि समय पर सर्जरी नहीं की जाती, तो यह मरीज के लिए घातक हो सकता था।
ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा, डॉ. महेंद्र चौधरी, डॉ. हेमंत कुमार, डॉ. अक्षय, डॉ. चंदा खत्री, डॉ. गायत्री तंवर, डॉ. आभाष छाबड़ा, डॉ. अजीज, रेखा पंवार, हरीश धायल और आरती शामिल थे।
एमडीएमएच अधीक्षक डॉ. राजपुरोहित ने बताया कि मरीज का यह ऑपरेशन मां योजना में नि:शुल्क हुआ है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीएस जोधा और डॉ. राजपुरोहित ने टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।