राष्ट्रीय लोक अदालत: जोधपुर में लंबित मामलों के निपटारे हेतु हाईकोर्ट प्रतिबद्ध।

जोधपुर: राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ, जस्टिस चंद्रशेखर ने कहा – ‘न किसी की जीत, न किसी की हार’

जोधपुर, [दिनांक]: राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश और राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस चंद्रशेखर ने शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोक अदालत का मूल उद्देश्य ‘न किसी की जीत, न किसी की हार’ के सिद्धांत पर आधारित है। उन्होंने बताया कि इस मुहिम का लक्ष्य प्रकरणों का त्वरित और न्यायसंगत निस्तारण सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश स्वयं लोक अदालत में बैठकर अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता को दर्शा रहे हैं।

कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रशेखर के साथ जस्टिस दिनेश मेहता और अन्य न्यायाधीशों ने दीप प्रज्वलित किया।

इस वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए 9 बेंचों का गठन किया गया है, जिनमें से 7 लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए कार्यरत रहेंगी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जोधपुर महानगर के सचिव पुखराज गहलोत ने बताया कि इस लोक अदालत के लिए 1 मार्च तक न्यायालयों में राजीनामा योग्य लंबित 9975 प्रकरणों और प्री-लिटिगेशन के 32697 प्रकरणों को चिन्हित किया गया है।

गठित बेंचों में मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) और श्रम व औद्योगिक न्यायालयों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए बुलाकीदास व्यास, पीठासीन अधिकारी, मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण, जोधपुर महानगर की अध्यक्षता में एक बेंच गठित की गई है। पारिवारिक और वाणिज्यिक न्यायालयों से संबंधित प्रकरणों के लिए वरुण तलवार, पीठासीन अधिकारी, पारिवारिक न्यायालय संख्या-2, जोधपुर महानगर की अध्यक्षता में एक बेंच बनाई गई है।

अन्य मामलों के लिए गठित दो बेंचों में राजस्व न्यायालयों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए सिद्धेश्वर पुरी, सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश संवर्ग को न्यायिक अधिकारी सदस्य और जवाहर चौधरी, एडीएम प्रथम जोधपुर को राजस्व अधिकारी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

स्थायी लोक अदालत, जिला उपभोक्ता मंच प्रथम व द्वितीय और प्री-लिटिगेशन प्रकरणों की सुनवाई के लिए प्राधिकरण के सचिव पुखराज गहलोत की अध्यक्षता में एक प्री-लिटिगेशन बेंच गठित की गई है।

राष्ट्रीय लोक अदालत में फौजदारी मामले (राजीनामा योग्य), धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम से संबंधित मामले, धन वसूली, एमएसीटी, श्रम विवाद, कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, बिजली-पानी बिल विवाद (अशमनीय को छोड़कर), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण, सर्विस मैटर्स (पदोन्नति एवं वरिष्ठता विवाद को छोड़कर), राजस्व मामले, वाणिज्यिक विवाद, बैंकिंग विवाद, सहकारिता, परिवहन, स्थानीय निकाय, रियल एस्टेट, रेलवे क्लेम्स, आयकर, अन्य कर, उपभोक्ता विवाद, किरायेदारी, बंटवारा, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा, क्षतिपूर्ति एवं विनिर्दिष्ट पालना संबंधी विवाद जैसे विभिन्न राजीनामा योग्य प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा।

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