सर्कुलर इकोनॉमी से 2050 तक भारत में 1 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी: भूपेंद्र यादव
जयपुर, 5 मार्च। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत में सर्कुलर इकोनॉमी का विस्तार तेजी से हो रहा है और इससे 2050 तक 1 करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी। उन्होंने बताया कि सर्कुलर इकोनॉमी का बाजार मूल्य लगभग 175 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में आयोजित एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के दूसरे दिन बोलते हुए श्री यादव ने कहा कि रिसाइक्लिंग और वेस्ट मैनेजमेंट को मजबूत कर इंडस्ट्री और बिजनेस को नया आकार दिया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्कुलर इकोनॉमी को भारत के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है।
श्री यादव ने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी केवल वेस्ट मैनेजमेंट नहीं है, बल्कि यह इंडस्ट्री और बिजनेस में बड़े बदलाव लाने वाला मॉडल है। पारंपरिक ‘टेक-मेक-वेस्ट’ मॉडल को बदलकर सर्कुलर इकोनॉमी अपनाने से संसाधनों पर निर्भरता कम होगी, नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ेगा और रोजगार के अवसर बनेंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नए नियम लागू कर चुकी है, जिनमें प्लास्टिक वेस्ट, ई-वेस्ट, कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस तैयार की गई हैं। देश में पहले वेस्ट को लैंडफिल या समुद्र में डंप किया जाता था, लेकिन अब इसे रिसाइक्लिंग यूनिट्स में प्रोसेस किया जा रहा है। भारत में फिलहाल 350 से ज्यादा रिसाइक्लिंग यूनिट काम कर रही हैं, जो हर साल करीब 45 लाख मीट्रिक टन वेस्ट प्रोसेस करने की क्षमता रखती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी से बिजनेस में बदलाव आएगा और यह इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के बाद का सबसे बड़ा ट्रांसफॉर्मेशन साबित हो सकता है। यह मॉडल 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में 375 लाख करोड़ रुपए की ग्रोथ ला सकता है। भारत भी इस बदलाव में अहम भूमिका निभाएगा और एशिया-पैसिफिक देशों के साथ मिलकर सर्कुलर इकोनॉमी को आगे बढ़ाएगा।
श्री यादव ने कहा कि क्लाइमेट एक्शन को सरकार ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में ग्रीन इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां लागू की जा रही हैं, जिससे वेस्ट को अधिकतम उपयोग में लाया जा सके और संसाधनों की बचत हो।
उन्होंने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी का लक्ष्य सिर्फ वेस्ट को कम करना नहीं है, बल्कि संसाधनों का सही उपयोग कर उत्पादन को नया स्वरूप देना है। इससे न केवल इंडस्ट्री को फायदा होगा, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत 2022 में सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिली है। इसके अलावा, सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार 10 अलग-अलग सेक्टर्स के लिए एक्शन प्लान तैयार कर रही है।
श्री यादव ने कहा कि भारत सर्कुलर इकोनॉमी को अपनाने में तेजी से आगे बढ़ रहा है और दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर इस दिशा में सहयोग कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत की रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री एशिया-पैसिफिक देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है और आने वाले सालों में यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा।