हाईकोर्ट ने आयुष कंपाउंडर-नर्स भर्ती में याचिकाकर्ता को शामिल करने का आदेश दिया
एक ई-मित्र संचालक की गलती के कारण राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग काउंसिल की कंपाउंडर-नर्स भर्ती प्रक्रिया में याचिकाकर्ता नरसी लाल मीणा को चयन से बाहर कर दिया गया था। डिप्लोमा प्रथम वर्ष के प्राप्तांकों में 8 अंकों की कमी दर्शाने वाली इस गलती ने याचिकाकर्ता को अंतिम चयन से वंचित कर दिया।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि ई-मित्र कर्मचारी की गलती के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया का उद्देश्य मूल दस्तावेज़ों के साथ ऑनलाइन आवेदन में दिए गए अंक का मिलान करना है, और ई-मित्र संचालक द्वारा अनजाने में हुई गलती को याचिकाकर्ता की योग्यता पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाना चाहिए।
हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर विचार किया और आयुर्वेद विभाग को अंतिम मेरिट सूची में याचिकाकर्ता को शामिल करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता के मामले पर विचार नहीं किया जाता है या कोई शिकायत बनी रहती है, तो उन्हें रिट याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए प्रार्थना पत्र दायर करने की अनुमति होगी।