बाघ टी-86 की दुखद मौत पर अनसुलझे प्रश्न
बाघ टी-86 की दुखद मौत के बाद कई सवाल अनुत्तरित हैं।
कौन और कैसे दोषी है?
बाघ की मौत का कारण और किसने उसकी जान ली, यह जांच का विषय है। हालांकि, दैनिक भास्कर की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
खराब थर्मल कैमरे
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में करोड़ों रुपए की लागत से थर्मल कैमरे लगाए गए हैं, जो 5 किमी की परिधि में गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं। घटनास्थल के पास दो कैमरे लगाए गए थे, लेकिन पड़ताल में पता चला कि ये कैमरे लंबे समय से खराब थे। अगर ये कैमरे सही होते, तो इस घटना को रिकॉर्ड किया जा सकता था।
लापरवाह वन विभाग
वन विभाग की लापरवाही के कारण कैमरे तीन महीने से खराब थे। यदि कैमरों को समय रहते ठीक करवाया गया होता, तो शायद इस घटना को टाला जा सकता था।
24 घंटे की ड्यूटी में लापरवाही
वन विभाग के वन्यजीव अनुभाग में कर्मचारियों की 24 घंटे ड्यूटी होती है। हालांकि, दीपावली की छुट्टी के दौरान अधिकांश कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई थी। घटना के बाद ग्रामीणों के फोन करने के बावजूद वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। इससे पहले, रणथंभौर में बाघों के हमले के दौरान वन विभाग द्वारा शवों को तुरंत बरामद किया जाता था। लेकिन इस मामले में वन विभाग की टीम 20 मिनट तक घटनास्थल पर मौजूद नहीं हुई।
जानकारी देने से इनकार
वन विभाग अभी भी घटना के जिम्मेदारों के खिलाफ कुंडेरा थाने में मामला दर्ज करने को तैयार नहीं है। कंडेरा थानाधिकारी के अनुसार, वन विभाग ने घटना की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है।
निष्कर्ष
बाघ टी-86 की मौत कई सवालों को जन्म देती है जो अभी भी अनुत्तरित हैं। वन विभाग की लापरवाही और मॉनिटरिंग सिस्टम की विफलता ने इस दुखद घटना में योगदान दिया है। घटना की पूरी जांच और दोषियों को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।