टोंक जिले के घाड़ थाना क्षेत्र के धुंवाखुर्द गांव में निवासियों को मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। श्मशान में पानी भरने के कारण अंतिम संस्कार कार्य बाधित हो रहे हैं।
स्थिति इतनी खराब है कि लोगों को कई घंटों तक शव को लेकर बैठे रहना पड़ता है, जिसके बाद अंततः श्मशान के बाहर सड़क के किनारे अंतिम संस्कार करना पड़ता है। मंगलवार को गांव की एक महिला सुशील देवी बैरवा की मृत्यु के बाद, उनका शव 2 घंटे तक श्मशान के बाहर पानी के किनारे रखा गया।
यह समस्या धुंवाकला तालाब के भराव क्षेत्र के पानी के श्मशान में भरने के कारण है। ग्रामीणों ने इस समस्या को बार-बार सरपंच और अन्य अधिकारियों के सामने उठाया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। श्मशान को ऊंचा करने के लिए मिट्टी नहीं भरी गई है, जिससे बरसात और सर्दियों के महीनों में पानी जमा हो जाता है।
इससे ग्रामीणों को शवों का अंतिम संस्कार मजबूरी में श्मशान के बाहर सड़क किनारे करना पड़ रहा है। ग्रामीण धनराज सिसोदिया और मुकेश बैरवा ने बताया कि यह समस्या वर्षों से रही है और श्मशान हमेशा पानी से भरा रहता है।
ग्रामीणों की मांग है कि श्मशान का स्तर तालाब के पानी के स्तर से ऊपर उठाया जाए ताकि साल भर अंतिम संस्कार सुचारू रूप से हो सकें। हालाँकि, ऐसा नहीं किया जा रहा है, जैसा कि सुशीला देवी बैरवा के मामले में हुआ, जिनका शव दो घंटे तक श्मशान के बाहर रखा गया और अंततः सड़क किनारे अंतिम संस्कार किया गया।
इसके अलावा, श्मशान तक जाने वाला रास्ता भी कीचड़ से भरा है, जिससे शव यात्रा निकालना और भी मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने समस्या का शीघ्र समाधान करने की मांग की है।
घाड़ ग्राम विकास अधिकारी नरेश वर्मा ने बताया कि श्मशान के लिए एक नया स्थान आवंटित करने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। स्वीकृति मिलने पर श्मशान के लिए नई जगह निर्धारित की जाएगी।