गोविंद के उपदेश से दौड़ पड़ीं गायें: श्यामवर्णी गाय बनी रेस की विजेता, आगामी वर्ष के शुभ होने का अनुमान

वास गांव में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गाय दौड़

दीपावली के दूसरे दिन, सिरोही के पिंडवाड़ा तहसील के वासा गांव में पारंपरिक गोवर्धन पूजा के साथ गाय दौड़ का आयोजन किया गया।

दौड़ में विजेता गाय का रंग

दौड़ में श्याम रंग की गाय सर्वप्रथम रही, जिसके परिणामस्वरूप आने वाले वर्ष को शुभ माना गया है। सदियों से चली आ रही मान्यता है कि दौड़ में सबसे आगे रहने वाली गाय के रंग से आगामी वर्ष के बारे में अनुमान लगाया जाता है।

पूजा और उत्सव

दौड़ से पहले, दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा, बली पूजा और अन्नकूट पूजन भक्तिपूर्वक संपन्न किए गए। रेबारी समुदाय के सदस्य आखरिया चौक में एकत्र हुए, जहां उन्होंने गायों को “हेर गीत” सुनाया और उन्हें गुड़ खिलाया।

दौड़ और भविष्यवाणी

इसके बाद, गाय दौड़ आयोजित की गई। मान्यता है कि दौड़ में सबसे पहले आने वाली गाय के रंग से आगामी वर्ष की भविष्यवाणी की जाती है।

* श्याम रंग: शुभ वर्ष
* सफेद रंग: मध्यम वर्ष
* काला रंग: अशुभ वर्ष

इस अवसर पर, इस शुभ दिन का आनंद लेने के लिए आसपास के ग्रामीण डीजे की धुन पर नाचते और गाते हुए पहुंचे।

सुरक्षा और भागीदारी

इस कार्यक्रम के दौरान, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। कई गणमान्य व्यक्तियों, जिनमें पूर्व उप प्रधान विनोद दवे और वासा सरपंच प्रभुराम शामिल थे, ने इस आयोजन में भाग लिया।

गाय दौड़ का महत्व

वास गांव में गाय दौड़ एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें गांव के लोग रंगीन कपड़ों से सजी गायों को आखरिया चौक में लाते हैं। पूजा के बाद, दौड़ आयोजित की जाती है और विजेता गाय के रंग से आने वाले वर्ष के भाग्य की भविष्यवाणी की जाती है।

इस वर्ष, श्याम रंग की गाय की जीत से गांव के निवासियों में आगामी वर्ष के लिए आशा और आनंद की भावना पैदा हुई।

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