राजस्थान में 13 साल के रिकॉर्ड तोड़ बारिश: 238 बांध उफान पर, बस स्टैंड पर चली नाव, रेगिस्तान में नदी बहने से लोगों में उल्लास

राजस्थान में मानसून ने अगस्त महीने में एक अभूतपूर्व रिकॉर्ड बनाया है, जिसमें 344 एमएम औसत वर्षा दर्ज की गई, जो 2011 से 2023 तक की सबसे अधिक वर्षा है। यह किसी भी पिछले महीने दर्ज की गई वर्षा से अधिक है। इससे पहले, 2016 में अगस्त में 277.7 एमएम वर्षा दर्ज की गई थी, जो पिछले 13 वर्षों में सर्वाधिक थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान में मानसून सितंबर के दूसरे सप्ताह तक सक्रिय रहने की संभावना है। राज्य में मानसून का औसत मौसम (1 जून से 30 सितंबर तक) 435.6 एमएम है, और 31 अगस्त तक पहले ही 557 एमएम वर्षा हो चुकी है। यह औसत वर्षा से 27% अधिक है।

राज्य के अधिकांश जिलों में औसत से अधिक वर्षा हुई है। जिलावार आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक वर्षा दौसा जिले में 1148.8 एमएम दर्ज की गई, जो इसके औसत से 129% अधिक है। हालांकि, उदयपुर, डूंगरपुर, झालावाड़ और सिरोही जैसे चार जिले ऐसे हैं जहां वर्षा अभी भी औसत से कम है। दूसरी ओर, 17 जिले ऐसे हैं जहां वर्षा औसत से 50% से अधिक हो चुकी है।

अगस्त में हुई रिकॉर्ड वर्षा ने राज्य में 238 बांधों को लबालब भर दिया है। जुलाई में, राजस्थान के 691 छोटे और बड़े बांधों में से केवल 22 ही भरे हुए थे, लेकिन 30 अगस्त तक ओवरफ्लो होने वाले बांधों की संख्या बढ़कर 238 हो गई। हालांकि, राज्य में अभी भी 122 बांध खाली हैं जिन्हें मानसून के दौरान बिल्कुल भी पानी नहीं मिला।

जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण बीसलपुर बांध में भी अगस्त के दौरान पानी की अच्छी आवक हुई। जुलाई के अंत तक, बांध का गेज 310.14 आरएल मीटर था और बांध में केवल 29% पानी था। अगस्त के अंत तक, बांध का गेज बढ़कर 314.50 आरएल मीटर हो गया और बांध अब 82% भरा हुआ है।

विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में इस बार अगस्त में लगातार 31 दिन वर्षा हुई। इसके पीछे का प्रमुख कारण तीन बड़ी प्रणालियों का निर्माण है। पहली प्रणाली जुलाई के अंत में बनी और अगस्त के पहले सप्ताह तक सक्रिय रही। 8 से 10 अगस्त के बीच एक और प्रणाली बनी, जिससे 17-18 अगस्त तक भारी बारिश हुई।

इन लगातार बनने वाली प्रणालियों और मानसून के ट्रफ लाइन के सामान्य स्थान पर बने रहने से राजस्थान के कई जिलों में भारी बारिश हुई और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। जयपुर, टोंक, जोधपुर सहित कई जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया था।

अगस्त के तीसरे सप्ताह में मानसून कमजोर रहा, जिसमें हल्की बारिश हुई। 23 अगस्त से, दो अलग-अलग प्रणालियाँ फिर से बनीं। पहली प्रणाली बंगाल की खाड़ी में बनी, जो बाद में डिप्रेशन और डीप-डिप्रेशन में बदल गई। इससे राजस्थान के कोटा, उदयपुर और जोधपुर में भारी बारिश हुई, साथ ही अजमेर, जयपुर और भरतपुर संभागों में भी भारी बारिश हुई। यह प्रणाली गुजरात होते हुए अरब सागर और पाकिस्तान के कराची तक पहुँच गई, जिससे गुजरात में भी भारी बारिश हुई और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।

अगस्त में संभागवार स्थिति की बात करें तो भरतपुर संभाग के सवाई माधोपुर और करौली में सबसे अधिक वर्षा हुई। भारी वर्षा के कारण पंचना बांध के गेट लंबे समय तक खुले रहे, जिससे हजारों क्यूसेक पानी की निकासी हुई। सवाई माधोपुर में भी भारी वर्षा से कई जगह बाढ़ जैसे हालात बने।

जयपुर संभाग के जिलों में भी इस मानसून में भारी बारिश हुई। सबसे अधिक दौसा जिले में 1159 एमएम बारिश हुई। दौसा के कई गांवों में पानी भर गया, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। जयपुर में भी भारी बारिश लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी। सड़कों पर डेढ़ फुट तक पानी भरने से दोपहिया और चार पहिया वाहन पानी में तैरते नजर आए। सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए और जर्जर इमारतें ढह गईं।

पश्चिमी राजस्थान में, जहां जून और जुलाई में मानसून सुस्त था, वहीं अगस्त में इसकी कमी पूरी हो गई। जैसलमेर में भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। औसत से 159% अधिक बारिश दर्ज की गई। पिछले 14-15 वर्षों में जैसलमेर में इतनी बारिश कभी नहीं हुई जितनी इस मानसून में हुई। जोधपुर में भी तेज बारिश से कई जगह स्थिति बिगड़ गई। हालाँकि, सिरोही और जालोर में अच्छी बारिश नहीं हुई। सिरोही में अभी भी औसत से 8% कम बारिश हुई है।

मेवाड़ क्षेत्र, जिसे राजस्थान में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र माना जाता है, में इस वर्ष मानसून कमजोर रहा। उदयपुर संभाग के 6 जिलों में से केवल राजसमंद एक ही जिला है जहाँ औसत से अधिक वर्षा हुई। उदयपुर और डूंगरपुर में औसत से 7% कम बारिश हुई। बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ में भी इस बार बारिश औसत के आसपास रही।

कोटा संभाग को इस बार औसत वर्षा मिली है। इस क्षेत्र को बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसून ट्रफ का प्रवेश क्षेत्र माना जाता है, इसलिए यहां हर साल भारी बारिश होने और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती है। कोटा बैराज, कालीसिंध, राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर सहित कई बांधों के गेट पानी छोड़ने के लिए खोले गए। इस बार केवल कोटा बैराज और कालीसिंध से पानी छोड़ा गया।

अजमेर और टोंक जिलों में इस बार लगातार भारी बारिश से खरीफ फसलें खराब हो गई हैं। टोंक में अगस्त के शुरुआती सप्ताह में हुई भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात हो गए थे। अजमेर में भी तेज बारिश लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी। हालांकि, एक अच्छी खबर यह है कि इस बारिश ने बीसलपुर बांध में पर्याप्त पानी पहुंचा दिया है, जो अब लबालब भरने के करीब है। अगर यह पूरी तरह भर जाता है, तो अजमेर और जयपुर की लगभग एक करोड़ आबादी को अगले दो साल तक पेयजल की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बीकानेर संभाग में भी इस मानसून में अच्छी बारिश हुई है। चार जिलों में से तीन में अब तक औसत से 50% से अधिक वर्षा हो चुकी है। हनुमानगढ़ क्षेत्र में भी औसत से 41% अधिक वर्षा होने से किसान खुश हैं।

आगे क्या? जयपुर के मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा से सटे बंगाल की खाड़ी में एक डिप्रेशन तंत्र बना हुआ है। यह प्रणाली अब उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रही है। इस प्रणाली के प्रभाव से राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में अगले 4-5 दिनों में अच्छी और भारी बारिश होने की संभावना है। मानसून सितंबर के दूसरे सप्ताह तक राजस्थान में सक्रिय रहने का अनुमान है।

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