सुप्रीम कोर्ट ने भजनलाल सरकार की एकल पट्टा प्रकरण जांच समिति को जारी रखा
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जी. एस. संधू की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने समिति को भंग करने का आग्रह किया था।
प्रारंभिक सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को राजस्थान हाईकोर्ट को वापस भेजने का इरादा व्यक्त किया। हालांकि, अंतिम सुनवाई अगले सप्ताह मंगलवार को निर्धारित की गई है।
संधू ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने इस मामले में जवाब दाखिल कर दिया है, जिसमें उन पर कोई अपराध नहीं पाया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले भी अंतिम रिपोर्ट लगाई जा चुकी है और अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट से इसे वापस ले लिया है।
इसके जवाब में, भजनलाल सरकार ने 28 जून को हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर. एस. राठौड़ की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था। इसमें गृह विभाग के एसीएस और यूडीएच विभाग के प्रमुख सचिव भी शामिल हैं।
राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट से समझौता करने का निर्णय लिया गया था जब शांति धारीवाल नगरीय विकास मंत्री थे। उन्होंने कहा कि सरकार अब संशोधित हलफनामा दाखिल करना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अंतिम बहस अगले सप्ताह तय की है।
एकल पट्टा प्रकरण
29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के शैलेंद्र गर्ग को एकल पट्टा जारी किया था। 2013 में एक शिकायत के आधार पर एसीबी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
इसके बाद संधू, निष्काम दिवाकर, ओंकारमल सैनी और अन्य को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, राज्य में सरकार बदलने के बाद, गहलोत सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी और चार्जशीट वापस लेने के लिए आवेदन किया।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ मामला वापस लेने को सही माना, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई।