मंगलवार को, जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट और जलदाय विभाग के एसी कार्यालय पर काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया। यह प्रदर्शन प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक और संयुक्त संघर्ष समिति जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग टोंक के संयुक्त बैनर तले दोपहर को किया गया था।
जलदाय विभाग के कार्यों को राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉर्पोरेशन (आरडब्ल्यूएसएससी) को हस्तांतरित किए जाने के विरोध में यह प्रदर्शन किया गया। कर्मचारियों के अनुसार, कार्यों के हस्तांतरण से आम लोगों को उचित दर पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाएगा। साथ ही, जलदाय कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन भी नहीं मिल पाएगी, क्योंकि आरडब्ल्यूएसएससी पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है।
इसके अतिरिक्त, जलदाय कर्मचारियों ने कहा कि कार्यों के हस्तांतरण के बाद, जल राजस्व वसूली के लिए उपभोक्ताओं से जल शुल्क बढ़ाया जाएगा, जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि हैंडपंप, नलकूप और जल योजनाओं के लिए ऋण लिया जाएगा, जिससे कार्य की स्वीकृतियां जारी करने में बाधा आएगी और राज्य की पेयजल व्यवस्था प्रभावित होगी।
प्रदर्शनकारियों ने जलदाय विभाग के निजीकरण और कार्यों के आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरण को जलदाय कर्मचारियों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इससे कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन नहीं मिल पाएगी, जिससे उनका परिवार प्रभावित होगा। इसके अलावा, राज्य की जनता को शुद्ध पेयजल महंगा मिलेगा, जिससे राज्य सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन अतिरिक्त कलेक्टर और जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग टोंक के अधीक्षण अभियंता राजेश गोयल को सौंपते हुए राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करे और इसे निरस्त करे।