राजमेस डॉक्टरों का डाइंग कैडर घोषित करने के विरोध में विरोध प्रदर्शन
राजमेस (राजस्थान चिकित्सा शिक्षा सोसायटी) में कार्यरत मेडिकल शिक्षकों को डाइंग कैडर घोषित करने के विरोध में डॉक्टरों ने बाड़मेर जिला अस्पताल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। लगातार दूसरे दिन, डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार जारी रखा।
डॉक्टरों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और राजस्थान सेवा नियमों (आरएसआर) को लागू करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है, तो राजमेस के अंतर्गत आने वाले 17 मेडिकल कॉलेजों के 700 से अधिक मेडिकल चिकित्सक अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे और सरकार के खिलाफ तीव्र आंदोलन करेंगे।
डॉक्टरों की इस हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का रोगियों पर असर पड़ने की संभावना है। बाड़मेर में 45 प्रोफेसर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ग्रेस्टोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिनेश गढ़वीर ने बताया कि राजस्थान में कुल 700 से अधिक डॉक्टर हैं और बाड़मेर में 45 डॉक्टर हैं। वे राजमेस के अंतर्गत प्रोफेसर के रूप में लंबे समय से कार्यरत हैं।
राजस्थान सरकार ने नए प्रोफेसरों की भर्ती के लिए आरएसआर नियम लागू किए हैं। हालांकि, पुराने शिक्षक जिन्होंने वर्षों से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाया है, उन्हें इन नए नियमों से अलग कर दिया गया है और उन्हें डाइंग कैडर कहा गया है।
डॉक्टरों की मांग है कि आरएसआर नियमों में पुराने डॉक्टरों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने राजमेस द्वारा दो डॉक्टरों को अलग करने के प्रयास का भी विरोध किया है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो वे सामूहिक अवकाश पर बने रहेंगे। आरएसआर नियमों के क्रियान्वयन के लिए वित्त मंत्री दीपेंद्र सिंह शेखावत ने भी राजमेस को निर्देश दिए थे। लेकिन राजमेस ने मनमाने ढंग से नियमों को संशोधित किया है।
डॉक्टरों ने कहा कि जब तक राज्य सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलता है कि आरएसआर नियम लागू नहीं किए जाएंगे, तब तक काम का बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
हालांकि, डॉ. गढ़वीर ने कहा कि अगर हड़ताल लंबे समय तक चलती है, तो वे मरीजों के लिए एक अलग ओपीडी शुरू करेंगे और उनका इलाज करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य मरीजों को परेशान करना नहीं है।