ठाकुर का कुआं कविता पर चौधरी पर सीओएल का तंज, “ना चूल्हा मिट्टी का रहा, ना हल बैल का”

ठाकुर का कुआं कविता पर राजनीतिक जुगलबंदी

राजस्थान विधानसभा में ठाकुर का कुआं कविता पर सियासी वार-पलटवार जारी हैं। कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी द्वारा हाल ही में सदन में कही गई इस कविता का जवाब देते हुए, भाजपा विधायक भैराराम सियोल ने भी कविता का सहारा लिया है।

सियोल ने अपनी कविता में कहा, “ना चूल्हा मिट्टी का रहा, ना हल बैल का। फिर क्यों तमाशा होता है लोकतंत्र के मंदिर में।”

वहीं, भाजपा विधायक अंशुमन भाटी ने महाराजा गंगासिंह के उदाहरण का उपयोग करते हुए, ठाकुरों के बजट के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि गंगासिंह ने अपनी निजी संपत्ति गिरवी रखकर 36 समुदायों के लाभ के लिए गंगनहर का निर्माण किया था।

भाटी ने बताया कि गंगासिंह ने ब्रिटिश सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली और अपने महल को गिरवी रखकर 5 करोड़ रुपये की लागत से नहर का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि नहर का लाभ सभी को मिला और गंगासिंह ने अपने लिए कुछ नहीं रखा।

सियोल ने चौधरी को पुरानी बातें छोड़कर वर्तमान पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “ठाकुर हो या किसान, लोकतंत्र के मंदिर में सभी 36 समुदाय हमारे हैं। पुरानी कविताएं छोड़ो, वर्तमान पर बात करो।”

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