वक्फ कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, केंद्र से सवाल।

वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र से जवाब तलब

नई दिल्ली, [आज की तारीख]। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे तक सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कानून के लागू होने पर फिलहाल रोक नहीं लगाई है।

वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की। सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस पर फैसला करेगी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ कानून के तहत बोर्ड में अब हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा, जो अधिकारों का हनन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है, जबकि हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है।

कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, और सीयू सिंह ने कानून के खिलाफ दलीलें पेश कीं।

अपीलकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रिया, पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी, और विवादों के निपटारे को लेकर अपनी मुख्य दलीलें दीं।

* वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रिया: कपिल सिब्बल ने कहा कि वे उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार कैसे तय कर सकती है कि कौन मुसलमान है और वक्फ बनाने के योग्य है।

* पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन: सिब्बल ने कहा कि सैकड़ों साल पहले बनी वक्फ संपत्तियों के लिए 300 साल पुरानी वक्फ डीड मांगना मुश्किल होगा। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा, जैसा कि 1995 के कानून में भी था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदों जैसी पुरानी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर किया जाएगा, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी।

* बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम: सिब्बल ने कहा कि अब हिंदू भी वक्फ बोर्ड का हिस्सा होंगे, जो अधिकारों का हनन है, जबकि अनुच्छेद 26 के अनुसार सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।

संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी और 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की गई। तब से इसका विरोध हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार दोपहर 2 बजे मामले की अगली सुनवाई करेगा।

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