भारत ने 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया है। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को एक आधिकारिक पत्र लिखा है। केंद्रीय खेल मंत्रालय के सूत्रों ने दैनिक भास्कर को पुष्टि की है कि भारत सरकार ने 1 अक्टूबर को IOC को एक लेटर ऑफ इंटेंट के माध्यम से खेलों की मेजबानी करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। यदि भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी प्राप्त करता है, तो यह पहली बार होगा जब ओलंपिक खेल भारत के किसी शहर में आयोजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी करेगा।
2032 तक की मेजबानी पहले ही तय की जा चुकी है। 2032 की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन शहर को दी गई है, जबकि 2028 के ओलंपिक लॉस एंजिल्स में आयोजित किए जाएंगे।
ओलंपिक की मेजबानी कैसे मिलती है? इस सवाल का जवाब खेल प्राधिकरण के पूर्व निदेशक राजिंदर सिंह ने दिया है। सिंह ने बताया कि ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के सामने प्रस्तुति देनी होगी। प्रस्तुति में आपको आयोजन की योजना बतानी होगी। इसके बाद IOC की एक समिति आपके देश का दौरा करेगी। यह इतना आसान नहीं है। अगर देश में ओलंपिक हुआ तो मुझे लगता है कि खेल विकास के लिहाज से यह अच्छा है। जैसे 2010 में हमने कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया था। इससे देश में खेलों के विकास में बहुत बड़ा अंतर आया। उस खेल के कारण दिल्ली में काफी विकास हुआ। कई फ्लाईओवर बने। इंदिरा गांधी एयरपोर्ट का नवीनीकरण हुआ। मेट्रो चल पड़ी, खेल बुनियादी ढांचे का विकास हुआ। अगर कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से इतना विकास हो गया तो सोचिए ओलंपिक खेलों के आयोजन से कितना विकास होगा। जहां तक शहर की बात है तो मुझे लगता है कि हमें दिल्ली, बेंगलुरु, अहमदाबाद जैसे नए शहरों को चुनना चाहिए जहां खेल ढांचा न हो। इससे उस शहर में भी खेल बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
भारत अब तक तीन मल्टी स्पोर्ट्स गेम्स की मेजबानी कर चुका है। देश ने आखिरी बार 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की थी। इससे पहले हमारे देश में 1982 और 1951 में एशियाई खेलों का भी आयोजन किया जा चुका है।