वाहनों की बढ़ती संख्या ने देश की सड़कों को भीड़भाड़ से भर दिया है
नई दिल्ली: देश की सड़कों पर वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है, जिससे भीड़भाड़ की समस्या और गंभीर हो रही है। ऑटोमोबाइल उद्योग कोविड-19 महामारी के बाद से निरंतर बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कार बाजार में मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में भारत में वाहनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। 2011 में लगभग 150 मिलियन वाहन थे, जो 2022 में बढ़कर लगभग 300 मिलियन हो गए हैं।
कार बाजार इस वृद्धि में प्रमुख योगदानकर्ता रहा है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वित्तीय वर्ष में कार की बिक्री में 13% की वृद्धि हुई, जो 3 मिलियन इकाइयों को पार कर गई। यह वृद्धि उपभोक्ता खर्च में वृद्धि, किफायती वित्तपोषण विकल्पों और नई कार मॉडलों की शुरूआत के कारण हुई है।
वाहन संख्या में वृद्धि से सड़कों पर भीड़भाड़ बढ़ रही है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। इससे यातायात की भीड़ में देरी, वायु प्रदूषण और दुर्घटनाओं की घटनाओं में वृद्धि हुई है। सरकार भीड़भाड़ को कम करने के लिए कई कदम उठा रही है, जैसे सार्वजनिक परिवहन में सुधार, कारपूलिंग को बढ़ावा देना और भीड़भाड़ वाले समय के दौरान यातायात प्रतिबंध लागू करना।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए टिकाऊ शहरी नियोजन और परिवहन प्रणालियों में निवेश की आवश्यकता है। इसमें वाहन संख्या को नियंत्रित करने, पैदल चलने और साइकिल चलाने को बढ़ावा देने और सार्वजनिक परिवहन को अधिक कुशल और सुलभ बनाने जैसे उपाय शामिल हैं।