चूरमा: इंग्लैंड में भारतीय संस्कृति का प्रतीक
हरियाणा के प्रसिद्ध व्यंजन चूरमा ने अब इंग्लैंड की राजधानी लंदन को अपनी महक से महका दिया है। सातवें अंतरराष्ट्रीय जाट मेले में भारतीय मूल के पार्षद रोहित अहलावत ने अंतरराष्ट्रीय चूरमा दिवस की शुरुआत की।
एक अनोखे वेबिनार में “खाओ चूरमा, बनो सूरमा” की थीम थी, जिसमें एशिया और यूरोप के लगभग 50 देशों के भारतीय अप्रवासी अपने घरों में चूरमा बनाकर शामिल हुए।
पार्षद अहलावत ने अपने हाथों से चूरमा बनाया और इंग्लैंड पहुंचे अंतरराष्ट्रीय भारतीय खिलाड़ियों को खिलाया। भारतीय अप्रवासी नागरिकों ने विदेशियों के लिए चूरमा बनाकर भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया।
हरियाणवी गायक गजेंद्र फोगाट ने कार्यक्रम में अपने गीतों से भारतीयता का माहौल बनाया।
चूरमा की रेसिपी
गेहूं या बाजरे के आटे को शुद्ध देसी घी में गूंधकर रोटियां सेंकी जाती हैं। गर्म रोटियों पर बूरा, देसी खांड या चीनी के साथ बार-बार देसी घी डालकर हाथों से बारीक किया जाता है। जब यह मिश्रण बिल्कुल महीन हो जाए, तो इसे गोल आकार के लड्डू बनाया जाता है।
शक्ति का प्रतीक
चूरमा शरीर को ताकत देता है और कबड्डी, कुश्ती और पहलवानों का पारंपरिक भोजन है। उत्तर भारत के हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के गांवों में इसे एक पारिवारिक व्यंजन के रूप में आनंद लिया जाता है। यह उत्तर भारत की एक प्राचीन और शक्तिवर्धक व्यंजन है।