खुले में गेहूं: किसान बर्बादी पर सरकार चुप।

गेहूं खरीद में सरकार के दावों की खुली पोल: सैलजा

चंडीगढ़, हरियाणा: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने प्रदेश सरकार पर गेहूं खरीद में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार के दावों के विपरीत मंडियों में खुले आसमान के नीचे गेहूं पड़ा हुआ है।

सैलजा ने कहा कि 1 अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद में अभी तक प्रदेश की मंडियों में केवल आधी आवक हुई है, और मंडियां हांफने लगी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल दिखावे के लिए किसानों की बात करती है, जबकि वास्तविकता में उनकी बर्बादी देख रही है।

मीडिया को जारी बयान में सैलजा ने बताया कि प्रदेश की 417 मंडियों में 38.93 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहुंचा है, जिसमें से केवल 8.59 लाख मीट्रिक टन (22 प्रतिशत) की ही उठान हो पाई है। हालांकि 31.52 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है, लेकिन उसे गोदामों में भेजने की प्रक्रिया धीमी है।

सैलजा ने कहा कि मंडी सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि मौसम को देखते हुए तिरपाल और पॉलीथिन की व्यवस्था खरीद एजेंसियों के पास होनी चाहिए, लेकिन सरकार के सारे काम घोषणाओं तक ही सीमित हैं। उन्होंने खरीद एजेंसियों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

सैलजा ने बताया कि सिरसा में 80 प्रतिशत गेहूं खुले में पड़ा है। 1 अप्रैल से खरीद शुरू होने के बावजूद उठान के लिए मंडी लेबर कांट्रेक्टर (एमएलसी) और मंडी ट्रांसपोर्ट कांट्रेक्टर (एमटीसी) की व्यवस्था नहीं हुई थी। प्रदेश की मंडियों में खरीदी गई गेहूं में से 31 प्रतिशत का ही उठान हो पाया है। रोहतक और सोनीपत में अधिकतर गेहूं मंडियों में खुले में पड़ा हुआ है। यमुनानगर में पिछले दिनों खुले में पड़ा गेहूं बरसात में भीगा था।

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