हरियाणा चुनाव में हार के बाद कमज़ोर हो रही हुड्डा की पकड़, सैलजा को मिल सकती है बड़ी ज़िम्मेदारी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ कमज़ोर होती दिखाई दे रही है। उनके समर्थकों पर लगातार हार का ठीकरा फोड़ने के आरोप लग रहे हैं, जबकि कुमारी सैलजा के समर्थक ज़ोर-शोर से हुड्डा गुट पर हमला बोल रहे हैं।
इस सब के बाद कांग्रेस आलाकमान हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस बड़ा बदलाव करने जा रही है। चर्चा है कि सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा को कांग्रेस एक बड़ी ज़िम्मेदारी दे सकती है। उनके राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बनाए जाने की संभावना है। अभी तक यह ज़िम्मेदारी केसी वेणुगोपाल संभाल रहे हैं।
इन चर्चाओं को तब और बल मिला, जब 29 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई। आम तौर पर ऐसी सूचियाँ केसी वेणुगोपाल की तरफ़ से जारी की जाती हैं, लेकिन इस बार यह सूची कुमारी सैलजा की तरफ़ से जारी हुई। सूची में हरियाणा से केवल राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम था।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी। टिकट वितरण से लेकर स्टार प्रचारकों की रैलियों तक हर मामले में हुड्डा की ही चली थी। कुमारी सैलजा कहीं भी आगे नज़र नहीं आईं। कांग्रेस आलाकमान इसे हरियाणा में हार का एक बड़ा कारण मानता है। इस गुटबाज़ी के कारण संगठन कमज़ोर हुआ।
विशेषज्ञों की राय
कर्णाल के डीएवी कॉलेज के प्राचार्य एवं राजनीतिक विशेषज्ञ आरपी सैनी का कहना है कि कांग्रेस के हालात को देखते हुए बदलाव की ज़रूरत है। पार्टी को अपने संगठन और काम करने के तरीके में बदलाव लाना होगा। कांग्रेस को मंथन नहीं, बल्कि काम करने की ज़रूरत है। किसी दूसरे नेता को मौका दिया जाना चाहिए, ताकि कांग्रेस आगे बढ़ सके। ऐसे नेता को मौका दिया जाए जो पूरी कांग्रेस को साथ लेकर चले।
असंध के पूर्व विधायक और सैलजा समर्थक शमशेर सिंह गोगी का दावा है कि सैलजा को बड़ी ज़िम्मेदारी मिलने की चर्चाएँ बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में थीं और संभवतः महाराष्ट्र के लिए लिस्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें कहा गया होगा।