अटेली में BJP में मौजूदा विधायक का टिकट कटने का चलन: सीताराम के सामने राव की बेटी आरती का दावा, संगठन से जुड़े नरेश यादव भी सक्रिय

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सिर्फ दो महीने ही शेष हैं। इस बीच, राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। भाजपा में टिकट के दावेदार सक्रिय हो गए हैं, खासकर दक्षिण हरियाणा क्षेत्र में।

क्षेत्र में सबसे अधिक हलचल अटेली सीट पर है, जहां केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने दावा पेश किया है। इससे भाजपा के मौजूदा विधायक सीताराम यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आरती राव और सीताराम यादव के अलावा, भाजपा संगठन से जुड़े एडवोकेट नरेश यादव भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।

भाजपा के विधायकों में एंटी-इनकंबेंसी

हरियाणा में भाजपा के कई विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी की भावना है। भाजपा का ऐसा माहौल से निपटने का इतिहास रहा है कि वह चौंकाने वाले फैसले लेती है।

अटेली में टिकट बदलने का ट्रेंड

भाजपा अटेली में अपने मौजूदा विधायकों का टिकट बदलने की भी परंपरा रही है। 2014 में पार्टी ने संतोष यादव को टिकट दिया था, लेकिन 2019 में सीताराम यादव को उम्मीदवार बनाया गया था।

सीताराम यादव के लिए खतरा

पिछले चुनावों के रुझान को देखते हुए, इस बार अटेली से भाजपा के सीताराम यादव की जगह किसी नए उम्मीदवार को मौका दिए जाने की संभावना है।

राव और सीताराम यादव के बीच दरार

2019 के चुनाव में सीताराम यादव को टिकट मिलने में राव इंद्रजीत की भूमिका बड़ी थी, लेकिन अब उनकी राहें अलग हो चुकी हैं। राव ने अपनी बेटी आरती को चुनाव लड़ाने की घोषणा की है।

सीताराम की मौजूदगी में आरती का दावा

आरती राव ने सीताराम यादव की मौजूदगी में ही अटेली से चुनाव लड़ने का दावा किया। इस सभा में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह अगला चुनाव लड़ेंगी।

नरेश यादव की रणनीति

राव इंद्रजीत और सीताराम यादव के बीच की लड़ाई का फायदा उठाने की कोशिश एडवोकेट नरेश यादव कर रहे हैं। वह पिछले दो सालों से अटेली क्षेत्र में सक्रिय हैं।

अटेली से भाजपा के अन्य दावेदार

आरती राव और नरेश यादव के अलावा, अटेली में भाजपा टिकट के दावेदारों में मौजूदा विधायक सीताराम यादव और पूर्व विधायक संतोष यादव भी शामिल हैं।

अटेली में कांग्रेस का दबदबा

महेंद्रगढ़ जिले की अटेली विधानसभा सीट पर हुए पिछले 14 चुनावों में 7 बार कांग्रेस विजयी रही है। विशाल हरियाणा पार्टी ने 3 बार और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2 बार जीत हासिल की है। 2014 में पहली बार भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की और 2019 में भी अपना कब्जा बरकरार रखा।

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