भरतपुर जलदाय विभाग के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन
भरतपुर जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार को जलदाय विभाग के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधी और नारेबाजी की।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलेगा। वे अनुदान पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होंगे।
जलदाय प्रदेश कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार, जलदाय मंत्री और जलदाय सचिव विभाग को निगम में बदलकर उसका निजीकरण करने की योजना बना रहे हैं।
वर्मा ने कहा, “जलदाय विभाग सेवा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है, न कि लाभ कमाने के लिए। हमारा वार्षिक राजस्व भरतपुर के एक महीने के बिजली बिल के बराबर भी नहीं है। निगम बनाने से विभाग को कोई लाभ नहीं होगा।”
कर्मचारियों ने चिंता व्यक्त की कि निजीकरण से उन पर राजनीतिक दबाव बढ़ेगा और वे इमरजेंसी स्थितियों में सेवा देने से हिचकिचाएंगे। उन्होंने कहा कि विभाग 24 घंटे सेवा देने के लिए बाध्य है, जबकि निजी कंपनियां केवल 8 घंटे काम करेंगी।
कर्मचारियों ने निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि वे भरतपुर और फिर राज्य स्तर पर व्यापक विरोध करेंगे। उन्होंने सरकार से कहा कि विभाग को नियमित सेवा में बनाए रखा जाए।