अजमेर में पंचकल्याण महोत्सव का शुभारंभ, धार्मिक कार्यक्रमों की धूम।

अजमेर: जैसवाल जैन समाज के श्री जिनशासन तीर्थ में पंचकल्याणक महोत्सव का भव्य आगाज

अजमेर, [आज की तारीख] | जैसवाल जैन समाज द्वारा निर्मित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में आज 41 साधु-साध्वियों के पावन सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव का शुभारंभ हुआ। देश भर से धर्मावलंबियों का आगमन जारी है, जिन्होंने धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

आज सुबह देव आज्ञा, गुरु आज्ञा, प्रतिष्ठाचार्य निमंत्रण के साथ घटयात्रा निकाली गई। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने समाज के लोगों की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया। इसके बाद मण्डप उ‌द्घाटन, वेदी शुद्धि और जप प्रारंभ हुए। आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन दिए। नित्य नियम पूजा, सकलीकरण, इन्द्र प्रतिष्ठा नान्दी विधान और मण्डप प्रतिष्ठा के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

दोपहर बाद यागमण्डल विधान और सीमंतनी क्रिया (माता की गोद भराई) संपन्न हुई। महोत्सव के तहत 25 अप्रैल तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम, शोभायात्रा और जुलूस निकाले जाएंगे। 23 अप्रैल को जेनेश्वरी दीक्षा का आयोजन होगा।

आज शाम 7:15 बजे मंगल आरती एवं प्रवचन, रात्रि 8:15 बजे इन्द्र दरबार, कुबेर द्वारा रत्नवृष्टि, माता मरुदेवी की सेवा, सोलह स्वप्न दर्शन, नृत्य, रात्रि 9:30 बजे महाराज नाभिराय का दरबार, राज्य व्यवस्था स्वप्नों का फलादेश, माता मरुदेवी की आरती, गीत नृत्य, तत्वचर्चा, छप्पन कुमारियों द्वारा भेंट, समर्पण व गर्भकल्याणक आंतरिक क्रियाएँ होंगी।

आचार्य वसुंनंदी महाराज की प्रेरणा से 11 साल पहले शुरू हुआ तीर्थ क्षेत्र का निर्माण कार्य अब पूरा हो गया है। यहां भगवान शांतिनाथ की 54 फीट ऊँची भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अतिरिक्त पद्मासन मुद्रा में विराजित 24 तीर्थंकरों की सवा 11 फीट की जिन चौबीसी मूर्तियां भी स्थापित हैं। पंचकल्याणक महोत्सव के लिए मंदिर परिसर के समीप अयोध्या नगरी का अस्थायी रूप से निर्माण किया गया है।

कल के कार्यक्रम – एक नजर

अजमेर में उत्तर-भारत की सबसे ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा: 400 टन के पत्थर को तराश कर बनाई गई यह प्रतिमा, 11 साल से चल रहे निर्माण का परिणाम है। यह 11 साल पहले बंजर पड़ी जमीन आज जैन तीर्थ के रूप में विकसित हो गई है। यहां जैन समाज के 16वें तीर्थकर शांतिनाथ भगवान की उत्तर भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसे करीब 400 टन पत्थर को तराश कर बनाया गया है। इस प्रतिमा का वजन लगभग 250 टन है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें [लिंक].

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